GST काउंसिल ने एक बड़ा नीतिगत बदलाव किया है। काउंसिल ने GST ढांचे को मुनासिब बनाते हुए 12% और 28% वाले स्लैब हटा दिए हैं, और पूरी प्रक्रिया को आसान करके दो रेट वाले सिस्टम में बदल दिया है। एक हद तक यह सुधार जरूरी सामान और सेवाओं पर लोगों को राहत पहुंचाते हैं। लेकिन जब हम लग्जरी गुड्स की बात करते हैं, तो उन पर टैक्स काफी बढ़ा दिया गया है- सीधा 40% तक। फिर भी यह देश के लिए सही है, क्योंकि यहां तरक्की ज्यादातर खपत पर आधारित है।
जरूरी थे सुधार : जरूरी चीजों पर टैक्स काफी घटा दिया गया है - ज्यादातर मामलों में 18% या 12% से घटाकर 5% पर। खास तौर पर कुछ चीजों, जैसे ऊंचे तापमान पर तैयार किया गया दूध, पनीर वगैरह पर GST अब जीरो कर दिया गया है। लेकिन सबसे अहम बात यह है कि कई जरूरी और जिंदगी बचाने वाली दवाओं पर से टैक्स हटा लिया गया है। कुल 33 दवाएं, जिनमें कैंसर और दूसरी लाइलाज या पुरानी बीमारियों की दवाएं शामिल हैं- उन पर GST 5% से घटाकर शून्य कर दिया गया है।
सरकार का फोकस
दवाओं में राहत : यह कदम निश्चित रूप से उपयोगी होगा। ज्यादातर मामलों में दवाओं की गिनती उन वस्तुओं में की जाती है, जिनकी मांग पर दाम का कोई असर नहीं पड़ता। यानी कीमत चाहे जितनी बढ़ जाए, अगर जान बचानी है तो खर्च करना ही पड़ेगा। इसीलिए, अगर दाम बढ़ते हैं तो भी यह जरूरी खर्च करना पड़ता है। ऐसे में विशेषकर बुजुर्गों के लिए लागत काफी बढ़ जाती है। इसी वजह से दवाओं को टैक्स फ्री करने का फैसला स्वागत योग्य है। बल्कि, सच कहूं तो मेरा मानना है कि Amoxicillin जैसी कुछ और दवाओं पर भी GST खत्म कर देना चाहिए।
बीमा को बढ़ावा : एक और महत्वपूर्ण बात इस सुधार में बीमा उत्पादों को लेकर है। कुछ बीमा उत्पादों, खासकर बीमा प्रीमियम के मामले में, बीमा नीतियों को और सस्ता बनाया गया है। यह हमारे देश के लिए काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां सामाजिक सुरक्षा उतनी मजबूत नहीं है। अब व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा, साथ ही पुनर्बीमा, जीवन बीमा- इन सबको पूरी तरह GST से मुक्त कर दिया गया है। पहले इन पर 18% तक टैक्स लगता था। इसका एक अच्छा असर यह देखने को मिलेगा कि अब आम लोग बीमा पॉलिसी आसानी से ले पाएंगे।
खपत को बढ़ावा : Macro-economic स्तर पर देखें तो इसके दो पहलू हैं, जिनके बारे में मेरा मानना है कि वित्त मंत्री प्रतिबद्ध हैं। पहला, पिछले कुछ बजटों में हमने पूंजीगत खर्च बढ़ते हुए देखा है। दूसरा, वित्त मंत्री लगातार कोशिश कर रही हैं कि खपत को बढ़ावा दिया जाए। पिछले तीन दशकों में यह साफ रहा है कि भारत ने हमेशा खपत-आधारित विकास को ही आगे बढ़ाया है। यह GST सुधार उसी दिशा में एक प्रोत्साहन है। अगर भारत को अपनी तरक्की की गति बनाए रखनी है, तो जरूरी है कि खपत को विकास का अहम चालक बनाए रखा जाए। यह GST सुधार उसी को सुनिश्चित करता है।
गरीबी घटाने में मदद : दूसरा पहलू यह है कि तरक्की सिर्फ ऐशो-आराम के सामान की खपत से नहीं आती। असल खपत तो मिडल क्लास और लोअर मिडल क्लास की वजह से बढ़ती है। वजह कि इन तबकों की खर्च करने की प्रवृत्ति अमीर तबके से ज्यादा होती है। GST घटाने से मध्य और उच्च मध्य वर्ग की खपत बढ़ेगी। वो ज्यादा खर्च करेंगे, और खपत हिंदुस्तान जैसी अर्थव्यवस्था के लिए न सिर्फ तरक्की बल्कि गरीबी घटाने में भी मदद करेगी। गरीबी की परिभाषा भी यहां खपत से जुड़ी हुई है, और गरीबी घटने की एक बड़ी वजह खपत का बढ़ना ही रहा है।
सुधरेगा कारोबार : GST का यह सुधार निजी निवेश को बढ़ावा देने की दिशा में भी अच्छा कदम है, क्योंकि इससे कारोबार की कार्यकुशलता बढ़ती है और कारोबारी माहौल सुधरता है। GST की बहुस्तरीय दरों का पालन अलग-अलग वस्तुओं पर कई तरह की उलझन पैदा करता था। मेरा मानना है कि ज्यादातर देशों में या तो एक दर होती है या अधिकतम दो-तीन दरें। हमारे यहां पहले कई दरें थीं, जिन्हें अब घटाकर तीन कर दिया गया है।
तर्कसंगत कदम : कुल मिलाकर GST सुधार अच्छा कदम है। यह एक ओर टैक्स सिस्टम को बेहतर तर्कसंगत बनाता है, दूसरी ओर tax compliance को आसान करता है। यह सुधार सेवा देने वालों, वस्तुएं बनाने वालों, बीच के सौदागरों और टैक्स ऑफिसर्स- सभी के लिए लाभकारी है। अनुपालन की कुल लागत घट जाती है। और जब किसी अर्थव्यवस्था में अनुपालन की लागत घटती है, तो उसकी कारोबारी प्रतिस्पर्धा भी बढ़ती है। यह GST सुधार उस दिशा में एक बहुत अहम कदम है।
(लेखक ORF में डिवेलपमेंट स्टडीज के VP हैं)
जरूरी थे सुधार : जरूरी चीजों पर टैक्स काफी घटा दिया गया है - ज्यादातर मामलों में 18% या 12% से घटाकर 5% पर। खास तौर पर कुछ चीजों, जैसे ऊंचे तापमान पर तैयार किया गया दूध, पनीर वगैरह पर GST अब जीरो कर दिया गया है। लेकिन सबसे अहम बात यह है कि कई जरूरी और जिंदगी बचाने वाली दवाओं पर से टैक्स हटा लिया गया है। कुल 33 दवाएं, जिनमें कैंसर और दूसरी लाइलाज या पुरानी बीमारियों की दवाएं शामिल हैं- उन पर GST 5% से घटाकर शून्य कर दिया गया है।
सरकार का फोकस
- मिडल और लोअर मिडल क्लास पर ध्यान
- देश में निजी निवेश को बढ़ावा देने का प्रयास
- टैक्स सिस्टम आसान होने से कारोबार बढ़ेगा
दवाओं में राहत : यह कदम निश्चित रूप से उपयोगी होगा। ज्यादातर मामलों में दवाओं की गिनती उन वस्तुओं में की जाती है, जिनकी मांग पर दाम का कोई असर नहीं पड़ता। यानी कीमत चाहे जितनी बढ़ जाए, अगर जान बचानी है तो खर्च करना ही पड़ेगा। इसीलिए, अगर दाम बढ़ते हैं तो भी यह जरूरी खर्च करना पड़ता है। ऐसे में विशेषकर बुजुर्गों के लिए लागत काफी बढ़ जाती है। इसी वजह से दवाओं को टैक्स फ्री करने का फैसला स्वागत योग्य है। बल्कि, सच कहूं तो मेरा मानना है कि Amoxicillin जैसी कुछ और दवाओं पर भी GST खत्म कर देना चाहिए।
बीमा को बढ़ावा : एक और महत्वपूर्ण बात इस सुधार में बीमा उत्पादों को लेकर है। कुछ बीमा उत्पादों, खासकर बीमा प्रीमियम के मामले में, बीमा नीतियों को और सस्ता बनाया गया है। यह हमारे देश के लिए काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां सामाजिक सुरक्षा उतनी मजबूत नहीं है। अब व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा, साथ ही पुनर्बीमा, जीवन बीमा- इन सबको पूरी तरह GST से मुक्त कर दिया गया है। पहले इन पर 18% तक टैक्स लगता था। इसका एक अच्छा असर यह देखने को मिलेगा कि अब आम लोग बीमा पॉलिसी आसानी से ले पाएंगे।
खपत को बढ़ावा : Macro-economic स्तर पर देखें तो इसके दो पहलू हैं, जिनके बारे में मेरा मानना है कि वित्त मंत्री प्रतिबद्ध हैं। पहला, पिछले कुछ बजटों में हमने पूंजीगत खर्च बढ़ते हुए देखा है। दूसरा, वित्त मंत्री लगातार कोशिश कर रही हैं कि खपत को बढ़ावा दिया जाए। पिछले तीन दशकों में यह साफ रहा है कि भारत ने हमेशा खपत-आधारित विकास को ही आगे बढ़ाया है। यह GST सुधार उसी दिशा में एक प्रोत्साहन है। अगर भारत को अपनी तरक्की की गति बनाए रखनी है, तो जरूरी है कि खपत को विकास का अहम चालक बनाए रखा जाए। यह GST सुधार उसी को सुनिश्चित करता है।
गरीबी घटाने में मदद : दूसरा पहलू यह है कि तरक्की सिर्फ ऐशो-आराम के सामान की खपत से नहीं आती। असल खपत तो मिडल क्लास और लोअर मिडल क्लास की वजह से बढ़ती है। वजह कि इन तबकों की खर्च करने की प्रवृत्ति अमीर तबके से ज्यादा होती है। GST घटाने से मध्य और उच्च मध्य वर्ग की खपत बढ़ेगी। वो ज्यादा खर्च करेंगे, और खपत हिंदुस्तान जैसी अर्थव्यवस्था के लिए न सिर्फ तरक्की बल्कि गरीबी घटाने में भी मदद करेगी। गरीबी की परिभाषा भी यहां खपत से जुड़ी हुई है, और गरीबी घटने की एक बड़ी वजह खपत का बढ़ना ही रहा है।
सुधरेगा कारोबार : GST का यह सुधार निजी निवेश को बढ़ावा देने की दिशा में भी अच्छा कदम है, क्योंकि इससे कारोबार की कार्यकुशलता बढ़ती है और कारोबारी माहौल सुधरता है। GST की बहुस्तरीय दरों का पालन अलग-अलग वस्तुओं पर कई तरह की उलझन पैदा करता था। मेरा मानना है कि ज्यादातर देशों में या तो एक दर होती है या अधिकतम दो-तीन दरें। हमारे यहां पहले कई दरें थीं, जिन्हें अब घटाकर तीन कर दिया गया है।
तर्कसंगत कदम : कुल मिलाकर GST सुधार अच्छा कदम है। यह एक ओर टैक्स सिस्टम को बेहतर तर्कसंगत बनाता है, दूसरी ओर tax compliance को आसान करता है। यह सुधार सेवा देने वालों, वस्तुएं बनाने वालों, बीच के सौदागरों और टैक्स ऑफिसर्स- सभी के लिए लाभकारी है। अनुपालन की कुल लागत घट जाती है। और जब किसी अर्थव्यवस्था में अनुपालन की लागत घटती है, तो उसकी कारोबारी प्रतिस्पर्धा भी बढ़ती है। यह GST सुधार उस दिशा में एक बहुत अहम कदम है।
(लेखक ORF में डिवेलपमेंट स्टडीज के VP हैं)
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