प्रतापगढ़: यूपी के बाहुबली नेता और कुंडा से विधायक रघुराज प्रताप सिंह 'राजा भैया' के दोनों बेटे भी अब राजनीति में आ गए हैं। राजा भैया के चचेरे भाई अक्षय प्रताप सिंह की मौजूदगी में उनके बेटों शिवराज प्रताप सिंह और बृजराज प्रताप सिंह ने जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) की सदस्यता ली। शिवराज प्रताप सिंह को कुंडा की प्रजा प्यार से बड़े राजा और बृजराज प्रताप सिंह को छोटे राजा कहकर पुकारती है। भदरी रियासत के राजकुमार राजा भैया राजनीति में उतरने वाले अपने परिवार के पहले शख्स थे। राजा भैया के दादा बजरंग बहादुर सिंह और पिता उदय प्रताप सिंह राजनीति और समाजसेवा में तो सक्रिय रहे, लेकिन उन्होंने कभी चुनाव नहीं लड़ा था। अब राजा भैया ने दोनों बेटों को राजनीति में उतार कर भदरी हाउस की विरासत को आगे बढ़ाने का काम किया है। राजा भैया के दो बेटे और दो बेटियां हैं। दोनों बेटे और बेटियां जुड़वा हैं। पत्नी भानवी सिंह से विवाद के बाद बेटियां अपनी मां के साथ रहती हैं। जबकि दोनों बेटे राजा भैया के साथ रहते हैं। जनसत्ता दल में शामिल होने से पहले भी दोनों बेटे राजा भैया के साथ राजनीतिक कार्यक्रमों में दिखते थे। वे राजा भैया के साथ कुंडा से लखनऊ आते-जाते रहते थे। 2022 विधानसभा चुनाव में भी दोनों बेटों ने अपने पिता के लिए प्रचार किया था।
बेटों के जन्म के समय जेल में बंद थे राजा भैयाशिवराज प्रताप और बृजराज प्रताप का जन्म 2003 में हुआ था। तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने राजा भैया को पोटा के तहत गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया था। राजा भैया दस महीने तक जेल में रहे थे। इस दौरान वे अपने बेटों का मुंह भी नहीं देख पाए थे। उस समय मायावती बीजेपी के समर्थन से यूपी की मुख्यमंत्री थीं। तभी प्रदेश की राजनीति में बदलाव आया। बीजेपी ने मायावती से समर्थन वापस ले लिया। इसके बाद मुलायम सिंह ने कई निर्दलीय और बसपा के बागियों के साथ मिलकर अपनी सरकार बनाई। क्या राजा भैया की तरह बेटे भी राजनीति में होंगे सफल?मुलायम सिंह यादव ने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के आधे घंटे के अंदर ही राजा भैया पर से पोटा के तहत लगे सभी मुकदमे वापस लेने का आदेश दिया था। बाद में मुलायम सिंह ने राजा भैया को मंत्री भी बनाया था। दोनों बेटों के पार्टी में शामिल होने के बाद अब ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या वे अपने पिता की तरह ही राजनीति में नाम कमा पाएंगे? फिलहाल, राजा भैया के समर्थकों में खुशी की लहर है। वे उम्मीद कर रहे हैं कि राजा भैया के बेटे भी राजनीति में सफल होंगे। दादा हिमाचल प्रदेश के रहे राज्यपाल, पिता आरएसएस के सक्रिय सदस्यराजा भैया के दादा बजरंग बहादुर सिंह ने आजादी की लड़ाई में भाग लिया था। वह पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति थे। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल भी रहे। निसंतान होने की वजह से बजरंग बहादुर सिंह ने राजा भैया के पिता उदय प्रताप सिंह को गोद लिया था। उदय प्रताप सिंह आरएसएस और विहिप की राजनीति में सक्रिय रहते हैं। वह कभी विधानसभा या लोकसभा का चुनाव कभी नहीं लड़े। 1993 से लगातार विधायक बनते आ रहे राजा भैयादूसरी ओर राजा भैया की बात करें तो वह कुंडा विधानसभा सीट पर 1993 से लगातार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत हासिल करते आ रहे हैं। वह बीजेपी और सपा की सरकारों में मंत्री भी रह चुके हैं। सिर्फ 26 साल की उम्र में विधायक बनने वाले राजा भैया ने आज तक हार का मुंह नहीं देखा। वह घुड़सवारी और निशानेबाजी के शौकीन हैं। उनका विवाह बस्ती रियासत की राजकुमारी भानवी देवी के साथ हुआ। इस समय विवाद की वजह से दोनों अलग रहते हैं।
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