US Study Abroad Tips: भारतीय पैरेंट्स अपने बच्चों को अमेरिका में पढ़ाने को लेकर इच्छुक हैं। पैरेंट्स के लिए बच्चों को यूएस पढ़ने भेजना गर्व की बात होती है और साथ ही उनके मन में कुछ बातों को लेकर डर भी रहता है। ओपन डोर्स रिपोर्ट के मुताबिक, अकेडमिक ईयर 2023-24 में अमेरिका में 3.31 लाख भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे थे। भले ही यहां लाखों की संख्या में भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी पैरेंट्स अपने बच्चों को लेकर चिंतित रहते हैं। उनकी चिंता संस्कृति में बदलाव, आर्थिक दबाव और सुरक्षा को लेकर रहती है। ऊपर से भारत से दूरी और अलग सिस्टम भी उनकी चिंताएं बढ़ाने का काम करती हैं। दुनियाभर में 13 लाख से ज्यादा भारतीय पढ़ाई कर रहे हैं। इन बच्चों के पैरेंट्स भी किसी न किसी बात को लेकर टेंशन में रहते हैं। हालांकि, अमेरिका में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के पैरेंट्स को सबसे ज्यादा चिंता रहती है। ऐसे में आइए उन 5 चिंताओं के बारे में जानते हैं, जिनका सामना अमेरिका में पढ़ने वाले बच्चों के पैरेंट्स को करना पड़ता है। पढ़ाई का खर्चअमेरिका में पढ़ाई का खर्च काफी ज्यादा है। यहां पर औसतन सालाना ट्यूशन फीस 24 लाख रुपये है और अगर इसमें रहने-खाने का खर्च भी जोड़ लिया जाए, तो सालाना खर्च 39 लाख से लेकर 52 लाख रुपये तक पहुंच सकता है। पैरेंट्स आमतौर पर सेविंग या लोन के जरिए बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाते हैं। 2024 में हुए सर्वे में बताया गया कि 68% भारतीय छात्र परिवार से मिलने वाले सपोर्ट के जरिए पढ़ाई कर रहे हैं। एक्सचेंज रेट में बदलाव से पढ़ाई का खर्च भी बढ़ जाता है। सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंताअमेरिका में बंदूक हिंसा और नस्लभेद के मामले काफी ज्यादा सामने आते हैं। इस वजह से छात्रों की सुरक्षा की चिंता हमेशा सताती रहती है। FBI के डाटा के मुताबिक, 2023 में अमेरिकी कॉलेजों में हेट क्राइम के 1100 से ज्यादा मामले रिपोर्ट हुए। इस वजह से अमेरिका पढ़ने भेजने वाले छात्र अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते हैं। हाल के समय में कई भारतीय छात्रों के ऊपर हमले भी हुए हैं, जबकि कुछ को गोली भी मारी गई है। वीजा और करियर को लेकर अनिश्चितताF-1 वीजा मिलने में देरी और रिजेक्शन बढ़ना भी पैरेंट्स के लिए सिरदर्द है। 2024 में भारतीयों को सिर्फ 64,008 वीजा मिला और रिजेक्शन रेट 38% रहा। इससे पैरेंट्स का समय और पैसा दोनों बर्बाद हुआ। पैरेंट्स पढ़ाई के बाद अपने बच्चों की नौकरी को लेकर भी चिंतित रहते हैं। हर साल सिर्फ 12 फीसदी भारतीय ग्रेजुएट्स को ही H-1B वीजा मिलता है। ऑप्शनल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग (OPT) के जरिए अस्थायी तौर पर नौकरी तो मिल जाती है, लेकिन स्थायी रूप से बसने की गारंटी नहीं होती है। भारतीय संस्कृति से दूर होनाअपने बच्चों को अमेरिका पढ़ने भेजने वाले पैरेंट्स चिंतित रहते हैं कि कहीं उनके बच्चे सांस्कृतिक जड़ों को भूल ना जाएं। 2024 में हुई स्टडी में बताया गया कि 83% भारतीय छात्र अमेरिका में घर की याद आने से परेशान रहते हैं। पैरेंट्स भी यहां अपने बच्चों को याद कर रहे होते हैं। उन्हें इस बात का भी डर होता है कि अमेरिकन संस्कृति में घुल-मिलकर कहीं उनके बच्चे पूरी तरह से भारत से दूर ना हो जाएं। अकेडमिक प्रेशर और मानसिक स्वास्थ्यभले ही बच्चों को पढ़ाई करना होता है, लेकिन कहीं न कहीं पैरेंट्स भी अपने बच्चों पर पड़ने वाले अकेडमिक प्रेशर को लेकर टेंशन में रहते हैं। STEM प्रोग्राम में 68% भारतीय पढ़ाई कर रहे हैं, जो कहीं न कहीं मानसिक परेशानी का सामना करते हैं। पैरेंट्स से दूर होना उनकी परेशानियों को और भी ज्यादा बढ़ा देता है।
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