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सांच को आंच नहीं... सेबी चीफ पर गंभीर आरोप, शेयर बाजार पर क्या होगा असर

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नई दिल्ली: सेबी की प्रमुख माधबी पुरी बुच पर लगे रहे आरोपों का सिलसिला जैसे थमने का नाम नहीं ले रहा। हालांकि ये सब अभी आरोप ही हैं, जो साबित नहीं हुए हैं। इसके बावजूद इनसे संदेह का माहौल बन रहा है, जो ठीक नहीं है। भारत आज दुनिया की पांचवीं बड़ी इकॉनमी है और यहां का शेयर बाजार भी दुनिया के शीर्ष मार्केट्स में शामिल है। बड़े पैमाने पर यहां विदेशी निवेशक पैसा लगाते आए हैं, जिसके समय के साथ और भी बढ़ने की आशा है। अच्छी शुरुआत के बावजूद याद किया जा सकता है कि सेबी प्रमुख के पद पर माधबी पुरी बुच की नियुक्ति की खबर अपने साथ काफी पॉजिटिविटी लेकर आई थी। वह इस पद पर नियुक्त होने वाली पहली महिला तो थीं ही, पहली बार प्राइवेट सेक्टर के किसी फाइनैंस प्रफेशनल को यह पद दिया गया था। जाहिर है, उनसे उम्मीदों का स्तर भी काफी ऊंचा था। ऐसे में उनका कार्यकाल जिस तरह के विवादों में घिरता दिख रहा है, वह वाकई निराशाजनक है। सेबी की साख जहां तक सवाल इस स्थिति को बदलने के लिए उठाए जाने वाले कदमों का है तो उस पर राय बंटी हुई है। एक खेमा विरोधियों और आरोप लगाने वालों का है जिनकी मांग है कि माधबी पुरी बुच को तत्काल सेबी चीफ का पद छोड़ देना चाहिए। दूसरी तरफ ऐसे लोग भी हैं जो मानते हैं कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है और इस तरह पद छोड़ देने से विरोधियों के सामने घुटने टेक देने का संदेश जाएगा जो अच्छा नहीं है। लेकिन माधबी पुरी बुच की व्यक्तिगत छवि से ज्यादा बड़ा सवाल शेयर बाजार नियामक सेबी की साख और उसकी विश्वसनीयता का है। जांच की निष्पक्षता अगर यह मान भी लिया जाए कि माधबी पुरी बुच पर लगाए गए सारे आरोप गलत हैं और जैसा कि उनका दावा है, उन्होंने सेबी प्रमुख के तौर पर अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह पूरी सचाई और ईमानदारी से किया है तो यह बात स्थापित कैसे होगी? निष्पक्ष जांच ही इसका एकमात्र रास्ता है। मगर जांच की निष्पक्षता तब तक सुनिश्चित नहीं की जा सकती जब तक कि माधबी पुरी बुच खुद सेबी प्रमुख के पद पर बैठी हैं। नैतिक साहससमझना जरूरी है कि बाजार नियामक जैसी संस्थाओं की निष्पक्षता जितनी ही जरूरी है उसकी निष्पक्ष छवि। इसलिए सेबी चीफ जैसे पद पर बैठे व्यक्ति को लेकर किसी विवाद की गुंजाइश न रहे तो बेहतर। इसके लिए बाजार के डगमगाने या लुढ़कने का इंतजार करना सही नहीं होगा। सीधी बात है, उनके ऊपर गंभीर आरोप लगाए गए हैं और उन्हें पद से अलग हटकर जांच का सामना करने का नैतिक साहस दिखाना चाहिए।
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