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NTA के एग्जाम, सरकारी भर्ती परीक्षाओं में भी AI यूज करने की तैयारी? जान लें इसके फायदे, नुकसान

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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल अब सिर्फ पढ़ाई-लिखाई ही नहीं भर्तियों और परीक्षाओं में भी होने लगा है। एआई लंबे समय से चले आ रहे रिक्रूटमेंट प्रॉसेस और एंट्रेंस एग्जाम्स में बड़ा बदलाव लेकर आ रहा है। दुनिया के कई देशों में यह तकनीक पहले से ही परीक्षाओं में अपनाई जा चुकी है। अब भारत भी धीरे-धीरे इस दिशा में कदम बढ़ा रहा है। खासकर सरकारी नौकरी की तैयारी करने वाले लाखों-करोड़ों युवाओं के लिए यह बदलाव काफी अहम हो सकता है।

नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA), स्टेट बोर्ड्स और भर्ती परीक्षाएं कराने वाली एजेंसियां अब डिजिटल एग्जाम से आगे AI-प्रॉक्टर्ड परीक्षाओं की संभावनाओं को गंभीरता से परख रही हैं। 2025 में यह चर्चा सिर्फ विचारों तक सीमित नहीं है, बल्कि कई स्तर पर इसे लागू करने की तैयारी शुरू हो चुकी है।


AI-प्रॉक्टर्ड एग्जाम क्या होता है?AI-प्रॉक्टर्ड परीक्षा दरअसल ऐसे डिजिटल टेस्ट होते हैं, जिन्हें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मॉनिटर करता है। इसमें कैमरा, माइक्रोफोन और स्क्रीन एक्टिविटी की मदद से परीक्षार्थियों की गतिविधियों पर नजर रखी जाती है। जैसे- अगर स्क्रीन बार-बार बदली जा रही है, बैकग्राउंड से आवाज आ रही है, फ्रेम में एक से ज्यादा लोग नजर आ रहे हैं या कोई और संदिग्ध हरकत हो रही है, तो सिस्टम तुरंत अलर्ट कर देता है।

भारत में AI मॉनिटर्ड एग्जाम क्यों जरूरी है?भारत में सरकारी भर्ती परीक्षाओं में हर साल करोड़ों युवा बैठते हैं। SSC, IBPS, जेईई, नीट, यूजीसी नेट, सीयूईटी और स्टेट CET जैसी परीक्षाओं को पारदर्शी और सुरक्षित तरीके से आयोजित करना बड़ी चुनौती होती है। यही वजह है कि सरकार और एजेंसियां अब AI का सहारा लेने पर विचार कर रही हैं। ऐसा करने से ये फायदे हो सकते हैं-
  • बड़े स्तर पर प्रबंधन- लाखों परीक्षार्थियों की परीक्षा एक साथ करवाना आसान हो जाएगा।
  • पेपर लीक और नकल पर रोक- AI लगातार निगरानी करके धोखाधड़ी की संभावना कम कर सकेगा।
  • कम खर्च- प्रिंटिंग और लॉजिस्टिक खर्च घटेंगे।
  • तेज रिजल्ट- खासकर ऑब्जेक्टिव टाइप एग्जाम में रिजल्ट जल्दी घोषित किए जा सकेंगे।

2025 में भारत में AI Exams के लिए कई अहम कदम उठाए गए हैं, जिनमें ये शामिल हैं-
  • NTA ने ऑनलाइन प्रैक्टिस एग्जाम्स में AI-आधारित निगरानी का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है।
  • महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों में हाइब्रिड मॉडल पर प्रयोग किए जा रहे हैं, जहां एग्जाम सेंटर में भी निगरानी रहती है और AI भी जुड़ा रहता है।
  • कई प्राइवेट टेस्टिंग कंपनियां अब सरकारी संस्थाओं के साथ मिलकर AI-सक्षम प्लेटफॉर्म तैयार कर रही हैं।
ऐसे में सरकारी नौकरी की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए यह जरूरी है कि वे तकनीक के इस नए दौर को अपनाएं और खुद को 'टेक-रेडी' बनाएं। क्योंकि AI के इस नए चैप्टर में वही आगे रहेंगे, जो बदलाव को जल्दी समझकर खुद को ढाल पाएंगे। AI से दोस्ती करने में देरी बिल्कुल न करें। अभी NBT Upskill AI से करियर ग्रोथ वर्कशॉप में रजिस्टर करके सीखें जरूरी एआई स्किल्स।

AI बेस्ड एग्जाम से सामने आने वाली चुनौतियांAI परीक्षाओं के फायदे जितने बड़े हैं, उतनी ही बड़ी चुनौतियां भी हैं, जैसे-
  • डिजिटल गैप- ग्रामीण और दूर-दराज इलाकों के छात्रों के पास इंटरनेट और डिवाइस की कमी है।
  • प्राइवेसी की चिंता- चेहरे की पहचान, स्क्रीन रिकॉर्डिंग और आवाज की मॉनिटरिंग से डेटा सुरक्षा को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
  • AI का पक्षपात- भाषा, रोशनी या चेहरे की बनावट जैसी तकनीकी खामियों से कुछ छात्रों के साथ भेदभाव हो सकता है।
  • इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी- अभी सभी परीक्षा केंद्रों में डिजिटल सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं।
AI-आधारित परीक्षाएं अब भविष्य की बात नहीं, बल्कि धीरे-धीरे हकीकत बन रही हैं। हालांकि भारत अभी पूरी तरह से इस बदलाव के लिए तैयार नहीं है, लेकिन दिशा साफ है। अगर सरकार सही नीतियां बनाए, इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करे और प्राइवेसी से जुड़ी चिंताओं का समाधान करे, तो आने वाले समय में परीक्षाओं में पारदर्शिता और तेजी दोनों ही बढ़ सकेंगी।
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