भगवान शिव और देवी पार्वती से जन्मा था अंधक
वामन पुराण के अनुसार, भगवान शिव काशी में ध्यान कर रहे थे। तभी पार्वती जी ने पीछे से आकर उनकी दोनों आंखें ढक दीं। देवी के ऐसा करते ही समस्त पृथ्वी, ब्रह्मांड में अंधकार छा गया। देवी के ऐसा करने से पूरी पृथ्वी और ब्रह्मांड में अंधेरा हो गया। तब शिव ने संसार को अंधकार से बचाने के लिए अपना तीसरा नेत्र खोल दिया। इस तीसरे नेत्र से असीम ऊर्जा निकली, जिससे कि देवी पार्वती को पसीना आ गया। इस पसीने से एक विकराल बालक का जन्म हुआ। इस बालक को अंधकार में उत्पन्न होने के कारण अंधक नाम मिला।
भगवान शिव ने अपने एक असुर भक्त को भेंट कर दिया बालक

हिरण्यकश्यप ने पुत्र पाने के लिए शिव की पूजा की थी। इससे खुश होकर महादेव ने उसे 'अंधक' नाम का पुत्र दिया। अंधक दैत्यों के बीच बड़ा हुआ और बाद में दैत्य राजा बना। समय बीतने के साथ ही अंधक ने अपने साहस और पराक्रम से पूरे संसार पर अपना अधिकार कर लिया।
अपनी शक्तियों को बढ़ाने के लिए ब्रह्मा जी से मांगा वरदान
अपनी शक्तियों को बढ़ाने के लिए अंधक ने ब्रह्मा जी की कड़ी तपस्या की और अमर होने का वरदान मांगा लेकिन ब्रह्मा जी ने इस वरदान को सृष्टि के नियम के विरुद्ध बताया। तब अंधक ने अपनी मृत्यु का ऐसा कठिन मार्ग चुना, जिसे सोचकर अंधक को लगा कि यह होना असंभव है। अंधक अपने जैविक माता-पिता के बारे में नहीं जानता था इसलिए उसने कहा कि यदि अगर वो कभी अपनी माता को कृदृष्टि से देखता है, तो उसके पिता के हाथों उसका वध होगा।
इस तरह अंधक ने डाली माता पार्वती पर बुरी दृष्टि
अंधक तीनों लोगों पर विजय पा चुका था। अब उसे अकेलापन खलने लगा। ऐसे में उसके मन में विवाह का विचार आया। अंधक ने सोचा कि वो संसार की सबसे सुंदर स्त्री से ही विवाह करेगा। एक दिन अंधक को पता चला कि संसार की सबसे सुंदर स्त्री कैलाश में भगवान शिव के साथ रहती हैं। अंधक के मन में देवी पार्वती से विवाह करने की इच्छा जागी। अंधक छल-बल से देवी पार्वती को उठा लाया। देवी पार्वती की पुकार सुनकर शिव बहुत क्रोधित हुए। शिव ने बताया कि देवी पार्वती अंधक की माता है लेकिन अंधक को शिव जी की बातों पर विश्वास नहीं हुआ और पार्वती जी से विवाह करने की इच्छा उसके मन में बनी रही। तब भगवान शिव ने त्रिशूल से अंधक का वध कर दिया।
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