नई दिल्ली: दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) के अंदर हालिया घटनाक्रम ने पार्टी के अंदर उठ रहे सियासी तूफान को उजागर कर दिया है। हाल ही में AAP के 15 पार्षदों ने पार्टी छोड़कर नया दल बना लिया। उन्होंने अपना अलग दल बनाने का ऐलान कर दिया। इस घटनाक्रम ने पार्टी के अंदर चल रही सियासी उठापटक को सबके सामने लाकर रख दिया। क्योंकि एमसीडी में दलबदल विरोधी कानून लागू नहीं होता है, इसलिए पार्षदों के दलबदल को चुनौती नहीं दी जा सकती है। इस नियम के कारण AAP की परेशानी और बढ़ गई है।आम आदमी पार्टी के 15 पार्षदों की बगावत एमसीडी की क्षेत्रीय वार्ड समिति के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पदों के लिए होने वाले चुनावों से पहले हुई है। APP और बीजेपी के बीच रस्साकशी के कारण दिसंबर 2022 में एमसीडी चुनावों के बाद से स्थायी समिति नॉन-फंक्शनल रही है, जिससे नागरिक बॉडी के कई अहम पहलू अधर में लटके हुए हैं। गिरता जा रहा है कार्यकर्ताओं का मनोबलइंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक कई आप पार्षदों ने बताया है कि विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद पार्टी सुप्रीमो और दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल की 'सार्वजनिक रूप से सीमित उपस्थिति और कार्यकर्ताओं के साथ सीमित बातचीत' ने कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरा दिया है। कार्यकर्ताओं से कटता जा रहा शीर्ष नेतृत्वबताया जा रहा है कि दिल्ली का हार के बाद अरविंद केजरीवा ने आप कार्यकर्ताओं से सिर्फ 2 बार बात की है। आप के एक पार्षद ने बताया कि उनके साथियों का पार्टी छोड़कर चले जाना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। महीनों से पार्टी नेतृत्व ने दिल्ली के पार्षदों के साथ चुनाव के बाद एक भी बातचीत नहीं की। हम शीर्ष स्तर से किसी निर्देश के बिना नगर निगम स्तर पर रोजाना लड़ाई लड़ रहे हैं। पंजाब पर ध्यान दे रहें हैं आप के दिग्गज नेताबता दें कि अरविंद केजरीवाल, पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन समेत आप के वरिष्ठ नेता फिलहाल पंजाब पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जो एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां फिलहाल पार्टी सत्ता में है। ये सीनियर नेता अक्सर पंजाब में डेरा डालते रहते हैं। सिसोदिया जहां पंजाब के आप प्रभारी हैं, वहीं सत्येंद्र जैन राज्य में उनके डिप्टी हैं। कार्यकर्ताओं का आरोप- शीर्ष नेतृत्व ने छोड़ दियादिल्ली में आम आदमी पार्टी के लिए नेतृत्व शून्यता की स्थिति पैदा हो गई है। यहां पार्टी का मनोबल और नियंत्रण लगातार कम होता जा रहा है। आप के कई कार्यकर्ताओं ने स्वीकार किया है कि शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें 'छोड़ दिया' है। सबसे चौंकाने वाला दलबदल आप के एमसीडी के पूर्व नेता मुकेश गोयल का है। 2022 के एमसीडी चुनावों से पहले आप में शामिल हुए पूर्व कांग्रेस नेता गोयल को नगर निकाय में पार्टी के प्रमुख चेहरों में से एक के रूप में देखा जाता था। पार्षदों ने एक संयुक्त पत्र भी सौंपा है, जिसमें कहा गया है कि वे 2022 में आप के टिकट पर चुने गए थे, लेकिन तब से शीर्ष नेतृत्व के साथ कोई समन्वय बनाया नहीं रखा जा सका और जनता से किए गए वादे अधूरे रह गए। इस नाम से पार्षदों ने बना ली नई पार्टीदल बदलने वालों ने अब इंद्रप्रस्थ विकास पार्टी (आईवीपी) नामक एक नया संगठन बनाया है, जिसमें बांकनेर, वसंत विहार, सदर बाजार, विकास पुरी और मयूर विहार के पार्षद शामिल हैं। उनका कहना है कि आईवीपी एक स्वतंत्र मोर्चे के रूप में काम करेगी और एमसीडी स्तर पर सीमित रहेगी, जिससे वह खुद को मजबूत और रचनात्मक विपक्ष के रूप में पेश करेगी। बीजेपी पर आप ने लगाया बड़ा आरोपआम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है कि हर पार्षद को 5 करोड़ रुपये की पेशकश की गई थी। पार्टी ने बीजेपी पर अहम स्थायी समिति और वार्ड समिति चुनावों से पहले एमसीडी पर पिछले दरवाजे से नियंत्रण हासिल करने की कोशिश करने का आरोप लगाया। हालांकि, भाजपा के एमसीडी मेयर राजा इकबाल सिंह ने इन आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि भाजपा नहीं, बल्कि आप की आंतरिक अराजकता इस अलगाव का कारण है।
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