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राहुल गांधी की यात्रा पर बीजेपी का वार, पात्रा बोले – घुसपैठियों के लिए निकले थे

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी की हालिया ‘भारत जोड़ो यात्रा – पूर्वोत्तर चरण’ को लेकर राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. संबित पात्रा ने कांग्रेस नेता पर तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि यह यात्रा राष्ट्रीय एकता के लिए नहीं, बल्कि “घुसपैठियों को संरक्षण देने की रणनीति” का हिस्सा थी।

संबित पात्रा का यह बयान उस समय आया जब राहुल गांधी की यात्रा असम, मणिपुर और नागालैंड जैसे संवेदनशील सीमावर्ती राज्यों से होकर गुज़री और उन्होंने कई जगहों पर NRC, नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और सीमा सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर सरकार की आलोचना की।

पात्रा का बयान: क्या कहा बीजेपी प्रवक्ता ने?

एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में संबित पात्रा ने कहा:

“राहुल गांधी की यह यात्रा ‘भारत जोड़ो’ नहीं बल्कि ‘वोट जोड़ो’ यात्रा है। वे उन जगहों पर जाकर जानबूझकर ऐसे बयान दे रहे हैं जो घुसपैठियों के पक्ष में जाते हैं। कांग्रेस हमेशा से देशविरोधी ताकतों को राजनीतिक संरक्षण देती आई है।”

उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी की यात्रा के पीछे मकसद केवल राजनीतिक ध्रुवीकरण और मुस्लिम वोट बैंक को साधना था।

राहुल गांधी ने क्या कहा था?

राहुल गांधी ने अपने संबोधनों में कई बार पूर्वोत्तर राज्यों में केंद्रीय सरकार की कथित उपेक्षा, आर्थिक असमानता, और अशांति का मुद्दा उठाया था। उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार को स्थानीय लोगों की आवाज़ और पहचान की रक्षा करनी चाहिए, न कि केवल चुनावी लाभ के लिए नीतियां बनानी चाहिए।

कांग्रेस ने भी भाजपा के आरोपों को “गंभीर but तथ्यहीन” करार देते हुए कहा कि

“राहुल गांधी की यात्रा देश को जोड़ने की कोशिश है, तोड़ने की नहीं। भाजपा को वास्तविक मुद्दों पर जवाब देना चाहिए, न कि झूठे आरोप लगाने चाहिए।”

राजनीतिक विश्लेषण: वोट बैंक या राष्ट्रीय सुरक्षा?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राहुल गांधी की यह यात्रा पूर्वोत्तर में कांग्रेस की खोई पकड़ को वापस लाने का प्रयास है। वहीं भाजपा इसे राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़कर जनता के बीच कांग्रेस की नीतियों पर संदेह पैदा करने की रणनीति पर काम कर रही है।

पूर्वोत्तर राज्यों में NRC, CAA और घुसपैठ जैसे मुद्दे लंबे समय से संवेदनशील रहे हैं। ऐसे में दोनों दलों के बयानों का असर केवल वर्तमान जनभावना पर ही नहीं, बल्कि आने वाले विधानसभा चुनावों पर भी पड़ सकता है।

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