पार्किंसन रोग आमतौर पर बढ़ती उम्र और मस्तिष्क की नसों की खराबी से जुड़ा माना जाता है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि Vitamin B12 और Vitamin D की कमी भी इसके पीछे एक बड़ा कारण हो सकती है। इनकी कमी से धीरे-धीरे तंत्रिका तंत्र कमजोर पड़ने लगता है, जिससे मरीज के हाथ-पैर काम करना बंद करने लगते हैं और बीमारी तेजी से बढ़ सकती है।
Vitamin B12 और D का महत्व
- Vitamin B12 नसों और दिमाग़ की कार्यप्रणाली के लिए आवश्यक है। इसकी कमी से सुन्नपन, थकान, याददाश्त की समस्या और चलने-फिरने में कठिनाई होती है।
- Vitamin D हड्डियों और मांसपेशियों की मजबूती के साथ-साथ दिमाग़ की कोशिकाओं को भी सपोर्ट करता है। इसकी कमी से मांसपेशियों में कमजोरी और संतुलन की समस्या हो सकती है।
कैसे बढ़ता है पार्किंसन का खतरा
लक्षण
- हाथ-पैर का बार-बार कांपना
- मांसपेशियों में जकड़न
- चलने में संतुलन बिगड़ना
- लगातार थकान और कमजोरी
- याददाश्त कमजोर होना
बचाव के उपाय
- आहार में दूध, अंडा, मछली और हरी सब्जियाँ शामिल करें।
- रोजाना सुबह की धूप लें ताकि Vitamin D प्राकृतिक रूप से मिल सके।
- डॉक्टर की सलाह पर Vitamin B12 और D के सप्लीमेंट लें।
- नियमित व्यायाम और योग करें।
पार्किंसन रोग को केवल उम्र या आनुवंशिक कारणों से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। Vitamin B12 और D की कमी भी इसके पीछे एक बड़ा कारण हो सकती है। समय पर खानपान में सुधार, धूप और सप्लीमेंट्स के जरिए इस बीमारी के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
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