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राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड का बड़ा फैसला: अब परीक्षाओं में लागू होगा इक्विपरसेंटाइल फॉर्मूला, Z-सिस्टम खत्म

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जयपुर। राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड (RSMSSB) ने मल्टी-शिफ्ट परीक्षाओं की निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण बदलाव करते हुए Z-फॉर्मूले को समाप्त कर दिया है। अब बोर्ड ने SSC (कर्मचारी चयन आयोग) की तर्ज पर इक्विपरसेंटाइल नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूला अपनाने का फैसला लिया है। यह नया फार्मूला अब से आयोजित होने वाली सभी मल्टी-शिफ्ट परीक्षाओं में लागू होगा, साथ ही इसे प्रहरी सीधी भर्ती-2024 में भी प्रयोग में लाया जाएगा।

इक्विपरसेंटाइल फॉर्मूला सबसे प्रभावी


राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड की परीक्षाओं में लगातार अभ्यर्थियों की संख्या बढ़ती जा रही है। ऐसे में एक ही परीक्षा को अलग-अलग शिफ्टों में आयोजित करना पड़ता है। विभिन्न शिफ्टों में प्रश्नपत्रों की कठिनाई का स्तर अलग हो सकता है, जिससे किसी अभ्यर्थी को लाभ तो किसी को नुकसान होता है। इस समस्या से निपटने के लिए बोर्ड ने एक समिति गठित की थी, जिसने देश की अन्य प्रतिष्ठित भर्ती एजेंसियों जैसे SSC, IBPS और रेलवे बोर्ड की पद्धतियों का अध्ययन किया। समिति की रिपोर्ट में SSC की ओर से हाल ही में अपनाया गया इक्विपरसेंटाइल फॉर्मूला सबसे प्रभावी पाया गया, और उसी की अनुशंसा के आधार पर इसे लागू करने का फैसला लिया गया है।


क्या होता है इक्विपरसेंटाइल फॉर्मूला

इक्विपरसेंटाइल नॉर्मलाइजेशन एक ऐसा सांख्यिकीय फार्मूला है, जिसमें हर शिफ्ट के परीक्षार्थियों के प्रदर्शन को समान प्रतिशत स्कोरिंग के आधार पर तुलना योग्य बनाया जाता है। आसान भाषा में समझें तो जब एक ही परीक्षा अलग-अलग शिफ्टों में होती है, तो हो सकता है कि किसी शिफ्ट का पेपर थोड़ा आसान हो और किसी का मुश्किल। ऐसे में सीधे नंबरों से तुलना करना सही नहीं होता। इस फॉर्मूले के अनुसार हर शिफ्ट के अभ्यर्थियों को उनके प्रदर्शन के अनुसार रैंक या प्रतिशत दी जाती है, न कि सीधे नंबर देखे जाते हैं।



मान लीजिए सुबह की शिफ्ट में 10 हजार अभ्यर्थी बैठे। शाम की शिफ्ट में भी 10 हजार अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी। अब, हेमांश को सुबह की शिफ्ट में 80 नंबर मिले और वह अपने ग्रुप में टॉप 10% में है। सिमरन को शाम की शिफ्ट में 76 नंबर मिले, लेकिन उसका पेपर मुश्किल था और वह भी टॉप 10% में ही है। अब इक्विपरसेंटाइल फॉर्मूले में यह देखा जाएगा कि दोनों टॉप 10% में हैं, तो दोनों का स्कोर बराबर माना जाएगा, यानी नंबर नहीं, अभ्यर्थी का स्थान (rank या percentile) अहम है। ऐसे में कठिन पेपर वालों को नुकसान नहीं होगा और आसान पेपर वालों को अनुचित फायदा नहीं मिलेगा।

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