नई दिल्ली, 14 अप्रैल, . भारत ने पिछले एक दशक में वैश्विक स्तर पर एक अहम आवाज बनकर उभरा है. रक्षा और अंतरिक्ष में उसकी शानदार सफलताओं ने दुनिया को आकृषित किया है. ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ जैसी पहलों के जरिए आत्मनिर्भरता, इनोवेशन और तकनीकी उन्नति पर मोदी सरकार के निरंतर ध्यान ने देश को अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में शीर्ष पर पहुंचा दिया है.
स्वदेशी रिसर्च की संस्कृति को बढ़ावा देने, सार्वजनिक-निजी भागीदारी को मजबूत करने, साइंस और टेक्नोलॉजी में रणनीतिक निवेश को प्राथमिकता देने के जरिए भारत अब वैश्विक क्षेत्र में केवल भागीदार नहीं बल्कि एक अग्रणी देश बन गया. यह सिर्फ तकनीकी उपलब्धियों की कहानी नहीं है; यह महत्वाकांक्षा, वैश्विक पहचान और ‘विश्वगुरू’ बनने की दिशा में भारत की अपरिवर्तनीय यात्रा की कहानी है.
रक्षा में सफलता : भारत का भविष्य सुरक्षित करना –
भारत के रक्षा क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन हुआ है. देश अत्याधुनिक तकनीकों के जरिए विश्व महाशक्तियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने वाले क्लब में शामिल हो गया है.
भारत ने रक्षा क्षेत्र में कई मील के पत्थर कायम किए हैं.
हाल ही में भारत ने ऐतिहासिक सफलता हासिल करते हुए लेजर आधारित निर्देशित ऊर्जा हथियार प्रणाली का सफलतापूर्वक परीक्षण किया. यह ‘फिक्स्ड-विंग’ और ‘स्वार्म ड्रोन’ को निष्क्रिय करने में सक्षम है. इसके साथ ही भारत, अमेरिका, रूस और चीन के बाद चौथा ऐसा देश बना, जिनके पास ऐसी उन्नत क्षमता है.
2025 में भारत हाइपरसोनिक मिसाइलों के लिए एक्टिव कूल्ड स्क्रैमजेट का परीक्षण करने वाले देशों के विशिष्ट क्लब में शामिल हो जाएगा.
डीआरडीओ ने नवंबर 2024 में देश की पहली लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया जो पारंपरिक और परमाणु दोनों तरह के हथियारों को 100 किलोमीटर से अधिक दूरी तक ले जा सकती है. लंबी दूरी की यह मिसाइल ध्वनि की गति से पांच गुना अधिक गति से उड़ती है. दुनिया के चुनिंदा देशों के पास ही ऐसी महत्वपूर्ण और उन्नत सैन्य तकनीकों की क्षमता है.
2024 में भारत ‘मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल री-एंट्री व्हीकल (एमआईआरवी)’ तकनीक वाले देशों के क्लब में शामिल हो गया. एमआईआरवी तकनीक के साथ अग्नि-5 का सफल परीक्षण किया जिससे भारत की एक ही मिसाइल पर कई परमाणु हथियार तैनात करने की क्षमता से लैस हो गया.
2023 में भारत ने समुद्र आधारित अंतर्वायुमंडलीय इंटरसेप्टर मिसाइल का पहला उड़ान परीक्षण किया. इसी साल भारत ने स्वदेशी मानवरहित एरियल व्हीकल का सफल उड़ान परिक्षण किया.
2019 में, मिशन शक्ति के माध्यम से, भारत ने एक एंटी-सैटेलाइट मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया, जिसने पृथ्वी की निचली कक्षा में एक जीवित उपग्रह को नष्ट कर दिया.
अंतरिक्ष में उड़ान: भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाएं –
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के नेतृत्व में भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम ने रिकॉर्ड-तोड़ मिशनों और अग्रणी तकनीकों से दुनिया हैरान कर दिया है.
हाल ही में, भारत इसरो के स्पैडेक्स मिशन की बदौलत उपग्रह डॉकिंग और अनडॉकिंग तकनीक का प्रदर्शन करने वाले चार देशों के विशिष्ट समूह में सफलतापूर्वक शामिल हो गया.
2023 में, भारत ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बनकर इतिहास रच दिया. भारत इतिहास में संयुक्त राज्य अमेरिका, सोवियत संघ और चीन के बाद चंद्रमा पर सॉफ्ट-लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन गया.
2022 में भारत क्रायोजेनिक इंजन विनिर्माण क्षमता वाला दुनिया का छठा देश बन गया. भारत ने अपनी अत्यधिक महत्वाकांक्षी एकीकृत क्रायोजेनिक इंजन विनिर्माण सुविधा (आईसीएमएफ) का उद्घाटन किया. जो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के लिए एक ही छत के नीचे सम्पूर्ण रॉकेट विनिर्माण और संयोजन की सुविधा प्रदान करती है.
2017 में भारत एक ही मिशन में सौ से ज़्यादा सैटेलाइट लॉन्च करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया.
रक्षा और अंतरिक्ष से परे : नई तकनीकी क्षेत्रों की ओर –
भारत की महत्वाकांक्षाएं उभरते हुए क्षेत्रों तक फैली हुई हैं, जो इसे वैश्विक तकनीकी दिग्गजों के बीच एक प्रतियोगी के रूप में स्थापित करती हैं.
सेमीकॉन इंडिया की घोषणा के साथ, देश सेमीकंडक्टर हब बनने की दौड़ में शामिल हो गया, जिसमें वैश्विक तकनीकी दिग्गजों से निवेश और साझेदारी है. यह भारत को चिप निर्माण में गंभीरता से प्रतिस्पर्धा करने वाले कुछ देशों में से एक बनाती है.
2020 में क्वांटम टेक्नोलॉजी और अनुप्रयोगों के लिए राष्ट्रीय मिशन (एनएमक्यूटीए) बनाकर, भारत ने औपचारिक रूप से क्वांटम कंप्यूटिंग की दौड़ में प्रवेश किया. इस पहल के लिए 6,000 करोड़ रुपये से अधिक आवंटित किए जाने के साथ, मोदी सरकार भविष्य के लिए अगली पीढ़ी की तकनीक का आक्रामक रूप से समर्थन कर रही है.
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