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नई दिल्ली: रामलीला में पूनम पांडे के मंदोदरी किरदार पर विवाद, संत समाज ने जताई नाराजगी

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New Delhi, 19 सितंबर . नवरात्रि और दशहरा नजदीक आने के साथ ही देशभर में रामलीला की तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो चुकी हैं. मंचन के लिए पात्रों का चयन भी हो रहा है, लेकिन पुरानी दिल्ली की प्रसिद्ध लव कुश रामलीला में Actress पूनम पांडे को रावण की पत्नी मंदोदरी का किरदार देने के फैसले ने विवाद खड़ा कर दिया है. इस चयन के खिलाफ साधु-संतों ने कड़ा विरोध जताया है, जबकि कुछ इसे कला और आध्यात्मिक परिवर्तन के दृष्टिकोण से स्वीकार्य मान रहे हैं.

अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने इस फैसले पर आपत्ति जताते हुए कहा, “रामलीला समितियों से हमारी अपील है कि वे शालीनता बनाए रखें. कलाकारों की पृष्ठभूमि और आचरण का ध्यान रखा जाना चाहिए, ताकि रामलीला की प्रतिष्ठा को ठेस न पहुंचे. सोच-समझकर कदम उठाना जरूरी है, ताकि गलत संदेश न जाए.”

इसी तरह, पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर जगतगुरु बालक देवाचार्य ने कहा, “मंदोदरी पंच कन्याओं में से एक है, जो मर्यादा और पवित्रता का प्रतीक है. ऐसे में किसी को भी यह किरदार देना उचित नहीं. रामचरितमानस एक पवित्र ग्रंथ है और इसके पात्रों के चयन में सावधानी बरतनी चाहिए. इस तरह के कृत्य से धार्मिक भावनाएं आहत हो सकती हैं.”

वहीं, महामंडलेश्वर शैलेशानंद महाराज ने इस मुद्दे पर कहा, “चित्र और चरित्र में अंतर होता है. पूनम पांडे अगर मंदोदरी का किरदार निभाती हैं और रामायण का अध्ययन करती हैं, तो उनके जीवन में आध्यात्मिक बदलाव आ सकता है. मैंने 2019 में अपने कैंप में राखी सावंत को आमंत्रित किया था, जहां उन्होंने कृष्ण और राधा के भक्ति गीतों पर नृत्य किया. इससे उनके अंदर भारतीय वेदांत की महत्ता का अनुभव हुआ. अगर कोई कलाकार पौराणिक पात्र निभाता है, तो यह स्वागत योग्य है.”

उन्होंने आगे कहा कि कलाकार का चरित्र उसके चित्र पर निर्धारित होता है. उसे जो किरदार दिया जाता है वह उसके अंदर उतर जाता है. अगर हम किसी कलाकार को कहते हैं कि वह विलन का रोल करे तो वह विलन का करेगा, लेकिन उसके अंदर आध्यात्मिक रूप से जो सामाजिक जीवन में परिवर्तन आएगा वह बेहद अद्भुत रहेगा. इसे कला की दृष्टि से देखा जाए विवाद की दृष्टि से देखना उचित नहीं है.

कम्प्यूटर बाबा ने इस चयन पर तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, “पूनम पांडे को मंदोदरी का नहीं, बल्कि शूर्पणखा का किरदार निभाना चाहिए. रामलीला समिति को पहले यह सोचना चाहिए कि रामचरितमानस के पात्रों का चयन कैसे करना है. मंदोदरी का किरदार देने से पहले समिति को विचार करना चाहिए. रामलीला सनातन धर्म पर आधारित है, और इसका सम्मान रखना जरूरी है. रामलीला के अध्यक्ष से मैं बुद्धि और विवेक का उपयोग कर जो जैसा है, उसके हिसाब से किरदार देने की अपील करता हूं.”

एकेएस/डीएससी

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