New Delhi, 9 अक्टूबर . राष्ट्रीय सुरक्षा और बदलते हवाई खतरों से निपटने की दिशा में सेना ने एक अहम कदम उठाया है. भारतीय सेना ने स्वदेशी रूप से विकसित ‘सक्षम’ काउंटर अनमैन्ड एरियल सिस्टम (यूएएस) ग्रिड सिस्टम के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी है. यह अत्याधुनिक प्रणाली वास्तविक समय में दुश्मन ड्रोन और अनमैन्ड एरियल सिस्टम की पहचान, ट्रैकिंग और उसे निष्प्रभावी करने में सक्षम होगी.
इस परियोजना को फास्ट ट्रैक प्रोक्योरमेंट मार्ग के तहत मंजूरी दी गई है ताकि इसे अगले एक वर्ष के भीतर सभी फील्ड फॉर्मेशन में लागू किया जा सके. इससे टैक्टिकल बैटलफील्ड स्पेस की हवाई सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी. यह टैक्टिकल बैटलफील्ड अब जमीनी क्षेत्र से लेकर 3,000 मीटर (10,000 फीट) ऊंचाई तक के एयर लिटोरल को शामिल करता है.
‘सक्षम’ प्रणाली की आवश्यकता ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान स्पष्ट रूप से महसूस की गई. इसके बाद भारतीय सेना ने अपने पारंपरिक टैक्टिकल बैटल एरिया की अवधारणा को बदलकर टैक्टिकल बैटलफील्ड स्पेस के रूप में विस्तारित किया है, जिसमें जमीन के ऊपर का हवाई क्षेत्र भी शामिल किया गया है.
सेना के मुताबिक इस नए दृष्टिकोण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जमीन से 3,000 मीटर की ऊंचाई तक का हवाई क्षेत्र थलसेना के नियंत्रण में रहे. इस क्षेत्र को एयर लिटोरल कहा जाता है. यह क्षेत्र सेना के नियंत्रण में होने से मित्रवत हवाई संपत्तियां स्वतंत्र रूप से संचालित हो सकेंगी और दुश्मन ड्रोन की शीघ्र पहचान एवं उसकी निष्क्रियता संभव हो सकेगी.
‘सक्षम’ एक उच्च तकनीकी, मॉड्यूलर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम है. इसे India इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड गाजियाबाद के सहयोग से विकसित किया गया है. यह प्रणाली आर्मी डेटा नेटवर्क पर काम करती है और वास्तविक समय में संपूर्ण हवाई क्षेत्र की समेकित जानकारी सभी सेना को प्रदान करती है.
प्रणाली के प्रमुख उद्देश्य की बात की जाए तो यह काउंटर-यूएएस प्रबंधन के लिए एकीकृत जानकारी प्रदान करती है. अपने और दुश्मन दोनों के यूएएस डेटा, सेंसर और हथियार प्रणालियों को एक सामान्य जीआईएस-आधारित प्लेटफॉर्म पर एकीकृत करती है. फील्ड कमांडरों के लिए रियल टाइम विजुअलाइजेशन उपलब्ध कराती है. विकसित हो रहे यूएएस खतरों के अनुसार लचीली, स्केलेबल और मॉड्यूलर संरचना प्रदान करने में सहायक है.
इसके अलावा, यह प्रणाली ‘अकाशीर सिस्टम’ से भी इनपुट प्राप्त करेगी, जिससे युद्धक्षेत्र के भीतर सभी हवाई गतिविधियों की रियल टाइम मैपिंग संभव होगी. यह प्रणाली सेंसर और हथियार प्रणालियों के समन्वित उपयोग द्वारा त्वरित प्रतिक्रिया देती है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित खतरों का विश्लेषण और त्वरित निर्णय लेने में मदद करती है. युद्धक्षेत्र का सटीक दृश्य देती है. निशाना साधने में अधिक सटीकता आती है. इससे भारतीय सेना की अन्य परिचालन और हवाई प्रबंधन प्रणालियों के साथ संपूर्ण इंटरऑपरेबिलिटी भी संभव होती है.
‘सक्षम’ पूरी तरह से स्वदेशी रक्षा प्रणाली है, जो Government की ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल को सशक्त बनाती है. बीईएल द्वारा विकसित यह प्रणाली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित डेटा फ्यूजन तकनीक का उपयोग करती है, जिससे इसे भविष्य की युद्ध आवश्यकताओं के अनुरूप अपग्रेड किया जा सकेगा. प्रणाली के पूरी तरह संचालन में आने के बाद ‘सक्षम’ भारतीय सेना के काउंटर-यूएएस नेटवर्क की रीढ़ बनेगी.
यह ग्राउंड और हवाई दोनों खतरों की एकीकृत तस्वीर कमांडरों को प्रदान करेगी. इससे निर्णय लेने की गति बढ़ेगी. त्वरित कार्रवाई संभव होगी और एयर लिटोरल क्षेत्र में नियंत्रण सुनिश्चित रहेगा. यह पहल भारतीय सेना के ‘डिकेड ऑफ ट्रांसफॉर्मेशन (2023–2032)’ के तहत डिजिटली सक्षम, तकनीक-आधारित युद्धक्षेत्र की दिशा में एक निर्णायक कदम है.
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जीसीबी/एसके
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