कोट्टायम, 6 सितंबर . केरल में पुलिस की बर्बरता का एक नया मामला सामने आया है, जहां एक पिता ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने उसके 24 वर्षीय बेटे को बेरहमी से पीटा और उत्पीड़न किया. पिता का दावा है कि एट्टूमनूर पुलिस स्टेशन के अधिकारियों की उच्च अधिकारियों से बार-बार शिकायत करने के बावजूद, युवक को फर्जी मामलों में फंसा कर रखा गया. पीड़ित पक्ष का ये भी कहना है कि उन्होंने प्रदेश के Chief Minister समेत तमाम उच्चाधिकारियों और संस्थानों को सूचित किया लेकिन महीनों बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई.
शिकायत के अनुसार, घटना 20 मार्च, 2025 को शुरू हुई, जब अभय एस. राजीव एट्टूमनूर शहर से अपने घर बाइक से जा रहे थे. कथित तौर पर एक अनधिकृत मार्ग पर तेज गति से आ रही एक निजी बस ने उन्हें लगभग टक्कर मार दी.
एट्टूमनूर निजी बस स्टैंड पर जब बस चालक से इस मामले पर बात की गई, तो सर्कल इंस्पेक्टर अंसिल और चार पुलिसकर्मियों ने कथित तौर पर यात्रियों के सामने अभय के साथ मारपीट की.
कथित तौर पर उनका मोबाइल फोन और बाइक भी क्षतिग्रस्त कर दी गई.
पिता ने आरोप लगाया कि बाद में अभय को एट्टूमनूर स्टेशन के पास जनमैत्री मध्यस्थता केंद्र ले जाया गया, जहां सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे हैं. यहां पर उसे बुरी तरह से मारा पीटा गया. पिता ने कहा, “उन्होंने उसे लाठियों से तब तक पीटा जब तक उसकी पीठ पर गंभीर चोट नहीं आ गई. मैंने चोटों की तस्वीरें social media पर जारी कीं.”
Chief Minister , Prime Minister, राज्यपाल, डीजीपी, मानवाधिकार आयोग और एससी/एसटी आयोग में शिकायत दर्ज कराने के बावजूद, परिवार का कहना है कि छह महीने बाद भी न्याय नहीं मिला है.
उन्होंने आगे आरोप लगाया कि पुलिस ने उनके बेटे (पूर्व एसएफआई कार्यकर्ता) पर कापा अधिनियम के तहत झूठा मुकदमा चलाया. कापा सलाहकार बोर्ड (केरल का असामाजिक गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम) ने बाद में इस कार्रवाई को रद्द कर दिया और एट्टूमनूर पुलिस की आलोचना की. फिर भी, वरिष्ठ अधिकारियों ने कथित तौर पर अभय को एक नशेड़ी और असामाजिक तत्व के रूप में चित्रित करने की साजिश रची.
पिता ने पठानमथिट्टा के पूर्व एसपी वी.जी. विनोद कुमार पर झूठी रिपोर्ट पेश करने का आरोप लगाया, जिसके कारण उनकी और उनके भाई की जाति की स्थिति रद्द कर दी गई. हालांकि बाद में केरल उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी. इस बीच, कथित तौर पर उनके खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई और अभय का ड्राइविंग लाइसेंस रद्द करने के लिए कदम उठाए गए.
पिता ने अपनी कानूनी लड़ाई जारी रखने का संकल्प लेते हुए कहा, “मेरा बेटा अवसाद का इलाज करा रहा है. स्पष्ट सबूतों के बावजूद, पुलिसकर्मी बेपरवाह हैं. मैं किसी भी कीमत पर न्याय के लिए प्रयास करूंगा.”
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