रायचूर, 22 जुलाई . कर्नाटक के रायचूर जिले में विषाक्त खाना खाने से एक परिवार के छह सदस्यों में से तीन लोगों की मौत हो गई है, जबकि तीन का इलाज चल रहा है. मौत की सही वजह फोरेंसिक जांच और मृतक के पोस्टमॉर्टम परीक्षण के बाद ही पता चलेगा.
जानकारी के मुताबिक, जिले के सिरवारा तालुका के के. थिम्मापुरा गांव के एक परिवार में पति रमेश, उनकी पत्नी पद्मा, नागम्मा, दीपा, कृष्णा और एक बेटी रहती थी.
परिवार ने रात के समय खाना खाया और सो गए. सुबह जब सभी जगे तो सबकी तबीयत खराब हो गई, उन सबके पेट में दर्द शुरू हुआ. इसके बाद उन्हें इलाज के लिए लिंगसुगुर सरकारी अस्पताल भेजा गया. उस समय, पिता रमेश (38) और बेटी नागरत्ना (8) की मृत्यु हो चुकी थी. वहीं पत्नी पद्मा, दीपा, कृष्णा और एक बेटी को इलाज के लिए रायचूर के रिम्स अस्पताल भेजा गया. दीपा की अस्पताल ले जाने के दौरान रास्ते में ही मृत्यु हो गई, जबकि पत्नी पद्मा, कृष्णा और एक बच्चे का इलाज चल रहा है और उनके स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है.
संदेह है कि तीनों की मृत्यु जहरीला खाना खाने से हुई है. मौत का सही कारण बेल्लारी फोरेंसिक लैब से आने वाली रिपोर्ट और मृतक के पोस्टमॉर्टम परीक्षण के बाद पता चलेगा.
रिम्स के जिला शल्य चिकित्सक डॉ. विजयशंकर ने बताया कि मृतक के परिवार वालों को संभवतः फूड प्वॉइजनिंग हुई होगी. पिता और बेटी की मौत लिंगसुगुर सरकारी अस्पताल में हुई, जबकि दूसरी बेटी दीपा की एम्बुलेंस से अस्पताल ले जाते समय रास्ते में मौत हो गई. बाकी दो बच्चों और मां का इलाज चल रहा है और उनकी हालत में सुधार हो रहा है. उन्होंने कहा कि मौत की सही जानकारी पोस्टमार्टम रिपोर्ट और फॉरेंसिक लैब की रिपोर्ट आने के बाद ही चलेगी.
–
एएसएच/जीकेटी
The post कर्नाटक : रायचूर में खाना खाने के बाद एक ही परिवार के तीन सदस्यों की मौत, फूड प्वाइजनिंग का अंदेशा appeared first on indias news.
You may also like
छात्रा ने उठाया लड़की होने का फायदा, परीक्षा कॉपी में लिखी ऐसी बात। मास्टर जी के उड़ गए तोते।ˏ
गठिया, अस्थमा और कब्ज का अचूक इलाज है जिमीकंद. जानिए कैसे करता है ब्लॉकेज और कैंसर कोशिकाओं का खात्माˏ
IND vs ENG: मैनचेस्टर टेस्ट मैच में कैसा रहेगा पांचों दिन का मौसम, क्या बारिश बनेगी विलेन
20 सालों से एक ही थाली में खाती थी मां, मौत के बाद बेटे को पता चली वजह, हो गया भावुकˏ
मंदिर से भी प्राचीन शिवलिंग: मुगलकाल में किले से फेंका गया, नागों ने बचाया, सिंधिया काल में बना कोटेश्वर महादेव