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विकास यादव की जमानत याचिका : सुप्रीम कोर्ट ने यूपी, दिल्ली सरकार के रवैये पर जताया असंतोष; एम्स को मेडिकल बोर्ड गठित करने का आदेश

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नई दिल्ली, 15 अप्रैल . सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नीतीश कटारा हत्याकांड में 25 साल की सजा काट रहे विकास यादव की मां के इलाज के लिए मेडिकल बोर्ड के गठन में देरी करने पर उत्तर प्रदेश और दिल्ली सरकार को फटकार लगाई. शीर्ष अदालत ने पिछली सुनवाई में मेडिकल बोर्ड के गठन का निर्देश दिया था.

सुप्रीम कोर्ट अब 2002 के नीतीश कटारा हत्याकांड में दोषी विकास यादव की अंतरिम जमानत याचिका पर 21 अप्रैल को सुनवाई करेगा. विकास यादव ने अपनी बीमार मां की देखभाल के लिए अंतरिम जमानत मांगी है.

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और दिल्ली सरकार को मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया था ताकि जमानत की अनिवार्यता का पता लगाया जा सके. दोनों राज्यों द्वारा उठाए गए कदमों पर असंतोष जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अब एम्स, दिल्ली को एक मेडिकल बोर्ड गठित करने और 21 अप्रैल को रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है.

शीर्ष अदालत ने कहा कि हमें पता चला कि उत्तर प्रदेश और दिल्ली सरकार ने भी एक मेडिकल बोर्ड गठित किया था. मेडिकल बोर्ड गठित करने में क्रमशः सात और 10 दिन का समय लिया.

जब तक मेडिकल बोर्ड विकास यादव की मां से मिलने अस्पताल गया, तब तक उन्हें छुट्टी दे दी गई थी. हालांकि, कोर्ट को सूचित किया गया कि उन्हें अगले दिन फिर से भर्ती कराया गया है.

सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्यों के मेडिकल बोर्ड के कामकाज पर असंतोष जताते हुए कहा, “जिस तरह से दोनों राज्यों ने काम किया, उसे देखते हुए हम निर्देश देते हैं कि एम्स एक मेडिकल बोर्ड गठित करे. यह बोर्ड तुरंत अस्पताल का दौरा कर विकास यादव की मां की स्वास्थ्य स्थिति पर रिपोर्ट तैयार करे.”

गौरतलब है कि फरवरी 2002 को नीतीश कटारा की हत्या कर दी गई थी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2016 में विकास यादव और विशाल यादव को 25-25 साल की कैद की सजा सुनाई थी.

एफजेड/एकेजे

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