Next Story
Newszop

जिस कांग्रेस ने ईडी को बनाया आज उसी की वजह से परेशान हो रहे हैं, इसे खत्म कर देना चाहिए : अखिलेश यादव

Send Push

भुवनेश्वर, 16 अप्रैल . सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बुधवार को पश्चिम बंगाल के मुर्शीदाबाद की घटना को लेकर कहा कि सभी राजनीतिक पार्टियों को शांति का संदेश देना चाहिए. उन्होंने सीएम योगी की टिप्पणी को लेकर कहा कि उन्हें लगता है कि कोई भगवा वस्त्र पहनने से योगी हो जाता है, लेकिन गीता में बताया गया है कि जो दूसरे का दुख समझे, वह योगी है. उन्होंने ईडी पर निशाना साधते हुए कहा कि इसे समाप्त कर देना चाहिए.

उन्होंने कहा कि जितने भी झगड़े या दंगे होते हैं, उनमें भाजपा का हाथ होता है. उन्होंने आगे कहा, ”मुझे याद है कन्नौज में भाजपा के कार्यकर्ताओं ने एक मंदिर में जानवर का मांस फेंकवाया और इस काम के लिए एक गरीब को चुना. जब गरीब ने उस काम को करने के लिए मना कर दिया, तो उन्हें पैसों का लालच दिया गया, फिर उसके साथ भाजपा कार्यकर्ता गए और मंदिर में मांस फेंकवाया. इसके बाद हिंदू-मुस्लिमों में झगड़े हुए, कई दुकानें जलीं और काफी नुकसान हुआ था.”

अखिलेश यादव ने कहा कि मैंने पहले भी कहा था और अब भी कह रहा हूं कि धार्मिक बयानबाजी से हमें बचना होगा. हम कोई भी ऐसा बयान न दें, जिससे किसी को नुकसान पहुंचे.

इस दौरान अखिलेश यादव ने कांग्रेस नेताओं पर ईडी की कार्रवाई को लेकर कहा कि ईडी को समाप्त कर देना चाहिए. उन्होंने कहा, ”कांग्रेस ने ही ईडी बनाई थी और आज ईडी की वजह से उन्हें भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. ईडी जैसे विभाग को समाप्त कर देना चाहिए.”

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश ने तीन बार देश को प्रधानमंत्री दिया. सबसे ज़्यादा सांसद चुनकर भेजे, और भारतीय जनता पार्टी को दिल्ली में सरकार बनाने का पूरा समर्थन दिया, लेकिन जब बात बजट की आती है, चाहे वह नेशनल हाईवे इंफ्रास्ट्रक्चर का बजट हो या किसी और बड़े प्रोजेक्ट की, तो यूपी के साथ बार-बार भेदभाव होता है. अगर हम इस भेदभाव पर सवाल उठाएं, तो हमारे इरादों पर ही शक किया जाने लगता है.

उन्होंने कहा कि अभी हाल ही में हमारे यहां कुंभ हुआ. हमने भी आस्था के साथ डुबकी लगाई, लेकिन भाजपा के नेता पिछले कुंभ की अपनी डुबकी की तस्वीर तक नहीं दिखा सकते. हम तो हर बार कुंभ में शामिल रहे. हमारे नेता जी की तस्वीरें भी मौजूद हैं, लेकिन इस सबसे बड़ी बात यह है कि पिछले कुंभ में जो श्रद्धालु खो गए, उनकी कोई सूची आज तक सार्वजनिक नहीं हुई. जिनकी जान गई, उनके नाम तक सरकार नहीं बता पा रही, ऐसा क्यों? ताकि मुआवज़ा न देना पड़े?

उन्होंने केंद्र पर हमला करते हुए कहा कि जो खुद को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने की बात करते हैं, वह अपने ही श्रद्धालुओं की मौत पर चुप्पी साधे बैठे हैं. बताइए, क्या ये इंसाफ़ है? क्या यही ‘संवेदनशील’ सरकार है? क्या ऐसे लोग सच में हिंदू हितैषी कहे जा सकते हैं?

डीएससी/जीकेटी

The post first appeared on .

Loving Newspoint? Download the app now