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समंदर को डर नहीं लगता…'सिनेमा बनाम ओटीटी' पर पल्लवी जोशी का जवाब सुन गदगद हुए विवेक रंजन

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मुंबई, 2 मई . सिनेमा बनाम ओटीटी मुद्दे पर अभिनेत्री-फिल्म निर्माता पल्लवी जोशी ने अपनी बात रखी, जिसे सुनकर उनके पति और फिल्म निर्माता-निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री गदगद हुए. उन्होंने तारीफ करते हुए कहा कि जोशी ने बेहद दिलचस्प और गहरी बात कही.

सिनेमा बनाम ओटीटी पर पल्लवी जोशी के जवाब पर उनकी सराहना करने के लिए विवेक रंजन ने इंस्टाग्राम के स्टोरीज सेक्शन का सहारा लिया. उन्होंने लिखा, “पल्लवी जोशी से पूछा गया कि क्या डिजिटल दौर में दर्शकों की कम होती अटेंशन स्पैन की वजह से भविष्य में थिएटरों का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है? इस पर पल्लवी जोशी ने बेहद दिलचस्प और गहरी बात कही. उन्होंने कहा कि समंदर को कभी डर नहीं लगता कि उसमें कितनी नदियां मिलने आ रही हैं. उसी तरह, भारतीय सिनेमा को कभी ओटीटी या 30 सेकंड की इंस्टाग्राम रील्स से छोटा नहीं किया जा सकता.”

विवेक ने आगे लिखा, “पल्लवी ने बताया कि थिएटर में फिल्म देखने का जो अनुभव होता है, वो मोबाइल स्क्रीन पर कभी नहीं मिल सकता. हम अगर बड़ी और दमदार कहानियों पर ध्यान देंगे, तो लोग खुद-ब-खुद थिएटर की ओर खिंचे चले आएंगे.”

‘सिनेमा बनाम ओटीटी’ पर कई एक्टर्स अपनी राय रख चुके हैं. इनका मानना है कि ओटीटी की दुनिया में भी सिनेमा का आकर्षण कम नहीं हुआ है.

जैकी श्रॉफ का मानना है कि माध्यम कोई मायने नहीं रखता, लेकिन कुछ फिल्में ऐसी होती हैं, जिन्हें सिनेमाघरों में देखना पड़ता है और यह ऐसी चीज है, जिससे हम समझौता नहीं कर सकते. बड़े पर्दे की बात ही कुछ और है. इसका अपना आकर्षण है.

‘सिटाडेल’ सीरीज के साथ ओटीटी डेब्यू कर चुकीं प्रियंका चोपड़ा ने भी इस पर बात की थी. एक इंटरव्यू के दौरान प्रियंका ने बताया था कि दोनों ही माध्यम शानदार हैं, मगर सिनेमा का अनुभव हमेशा से खास रहेगा. सिनेमाघरों का जादू कभी फीका नहीं पड़ सकता है.

वहीं, फिल्म निर्माता-निर्देशक डेविड धवन ने बताया था कि वह थिएटर मैन हैं. उनका मानना है कि ओटीटी के जरिए फिल्म निर्माताओं को एक सुरक्षित रास्ता मिल जाता है. लेकिन सिनेमा के अनुभव की तुलना थिएटर के अनुभव से नहीं की जा सकती है, दोनों में काफी अंतर है.

एमटी/केआर

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