Ratangarh Wali Mata Mandir Datia: भारत में देवी माता के हजारों चमत्कारी मंदिर है। इन्हीं में से एक मंदिर मध्य प्रदेश के दतिया में है। रतनगढ़वाली माता के नाम से प्रसिद्ध यह मंदिर कई साल से लोगों की आस्था का केंद्र बिंदु बना हुआ है।
कहा जाता है कि यहां की भभूत लगाने मात्र से ही लोगों के सभी रोग दूर हो जाते हैं। इतना ही नहीं यह भभूत किसी भी जहरीले सांप के जहर को बेअसर कर देती हैं। आज हम इसी मंदिर के बारे में चर्चा करें।
रतनगढ़ वाली माता मंदिर की कहानीआज से कबरी 400 साल पहले मुस्लिम शासक अलाउद्दीन खिलजी लोगों पर भारी जुल्म बरपा रहा था और सेंवढा से रतनगढ़ में आने वाले पानी पर पावबंदी लगा दी थी।
इसके बाद राजा रतन सिंह की बेटी मांडूला और उनके भाई कुंवर गंगा रामदेव ने अलाउद्दीन का काफी विरोध किया। जिसके चलते अलाउद्दीन ने रतनगढ़वाली माता मंदिर के परिसर में बने किले पर आक्रमण कर दिया था।
बता दें कि रतन सिंह की पुत्री मांडुला बहुत सुंदर थी और मुस्लिम आक्रमणकारियों की बुरी नजर से बचने के लिए मांडुला और कुंवर गंगा रामदेव ने जंगल में समाधि ले ली थी। जिसके बाद रतनगढ़वाली माता का मंदिर अस्तित्व में आया था।
विष पर बंधन लगा देते हैं कुंवर बाबारतनगढ़ वाली माता के पास उनके भाई कुंवर बाबा का मंदिर है, कहा जाता है कि कुंवर गंगा रामदेव शिकार करने जाते थे, तब जंगल के जहरीले जानवर अपना विष बाहर निकाल देते थे।
इसीलिए ऐसी मान्यता कि जब किसी व्यक्ति को कोई जहरीना जानवर या सांप काट लेता, तो कुंवर बाबा के नाम का बंधन लगाते हैं। फिर वह भाई दूज या दिवाली से ठीक दूसरे दिन मंदिर में बाबा के दर्शन करता हैं।
वहीं मंदिर से करीब दो किमी दूर सिंध नदी में स्नान करते ही वह व्यक्ति बेहोश हो जाता है। जिसे स्ट्रेचर की सहायता से बाबा के मंदिर तक लाया जाता है। जहां जल के छींटे पड़ते ही पीड़ित व्यक्ति पूरी तरह से स्वस्थ हो जाता है।
छत्रपति शिवाजी ने कराया था निर्माणबता दें कि यह मंदिर छत्रपति शिवाजी को मुगलों से मिली जीत की निशानी है। कहा जाता है कि रतनगढ़ वाली माता और कुंवर महाराज ने शिवाजी के गुरू रामदास को देवगढ़ में दर्शन दिए और शिवाजी को मुगलों से युद्ध करने के लिए प्रेरित किया था।
वहीं युद्ध में मिली मुगलों की करारी हार और मराठों को मिली जीत के बाद शिवाजी महाराज ने दतिया के रतनगढ़ में इस मंदिर का निर्माण कराया था। यह मंदिर अपने चमत्कारी रहस्यों से देश में प्रशिद्ध है।
कैसे पहुंचे रतनगढ़ वाली माता मंदिर?इस मंदिर तक आप देश किसी भी कोने से पहुंच सकते हैं। झाँसी, दतिया व ग्वालियर तीन रेलवे स्टेशन सबसे नजदीक हैं। इसके अलाव आप यहां बस से भी यात्रा कर पहुंच सकते हैं।
अगर आप हवाई यात्रा से भी यहां पहुंचना चहते हैं, तो ग्वालियर हवाई अड्डा सबसे नजदीकी हैं। यहां से आप बस से यात्रा कर मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
You may also like
रेलवे पर उठे सवाल: सहरसा-अमृतसर जनसाधारण एक्सप्रेस का विस्तार फारबिसगंज तक क्यों नहीं?
(राउंड अप) हिमाचल में बारिश का कहर: 355 मौतें, 49 लापता, 1208 सड़कें ठप, 3787 करोड़ का नुकसान
2025 Hyundai Creta EV भारत में लॉन्च, इलेक्ट्रिक SUV सेगमेंट में मचा सकती है तहलका!
डूसू चुनाव में उम्मीदवारों को जमा करना होगा केवल हलफनामा और जमानत बांड
देश की अर्थव्यवस्था के हित में है एक राष्ट्र एक चुनावः मुख्यमंत्री डॉ. यादव