चार बच्चों की मां पर एक बाहर के राज्य के चार अपराधियों द्वारा किया गया सामूहिक बलात्कार अत्यंत पाशविक था, यह जानकारी पुलिस ने दी है।
आरोपियों ने सिर्फ महिला को मानव समझने का प्रयास नहीं किया, बल्कि उनके चेहरे पर चुटकी लेते हुए पशुवत व्यवहार किया, यह जानकारी कोरमंगला पुलिस ने दी है।
“अय्यो दम्मैया… छोड़ दो… मेरे पास चार बच्चे हैं” यह कहते हुए महिला ने हिंदी में बार-बार गिड़गिड़ाकर अपराधियों से गुहार की, लेकिन वे महिला को सुबह तक वहीं रोके रहे, कई बार बलात्कार किया और फिर धमकी दी कि अगर उसने इस बारे में किसी को बताया तो स्थिति ठीक नहीं होगी। फिर सुबह उन्हें छोड़ दिया। इस दौरान महिला का मोबाइल फोन भी गायब हो गया था, लेकिन बाद में वह ठीक होकर 112 नंबर पर कॉल करके पुलिस को सूचना दी।
घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस तुरंत सक्रिय हो गई और आरोपियों को शहर छोड़ने से पहले ही पकड़ लिया। पश्चिम बंगाल और उत्तराखंड के रहने वाले आरोपी अजीत, विश्व, शिभूल और शोभन को गिरफ्तार कर लिया गया है। आरोपियों ने महिला के साथ पाशविक व्यवहार किया और सामूहिक बलात्कार किया। महिला को अस्पताल में भर्ती किया गया और उसे उचित इलाज दिया गया है। पुलिस ने बताया कि महिला की हालत अब स्थिर है।
महिला कौन है: संतुष्ट महिला दिल्ली की रहने वाली है, जो पिछले कई वर्षों से अपने पति के साथ बेंगलुरु में रह रही थी। वह अपने पति के साथ कैटरिंग का काम करती थी और शादी और अन्य शुभ अवसरों के लिए भोजन की आपूर्ति करती थी।
गुरुवार रात को अपने दोस्तों से मिलने के लिए वह कोरमंगला के ज्योति निवास कॉलेज के पास स्थित जंक्शन पर इंतजार कर रही थी, तभी एक होटल में काम करने वाले चार बाहरी राज्य के अपराधी उसकी पास आए और उसे हिंदी में प्यार से बात कर भोजन देने का भरोसा दिलाया। फिर उसे होटल की छत पर ले गए।
वहां पहले महिला को भोजन दिया और बाद में उन्होंने अपनी नापाक हरकतें शुरू की। महिला, जो इस स्थिति से अनजान थी, थोड़ी घबराई और बोली, “छोड़ दो, मेरे पास चार बच्चे हैं”, लेकिन उसकी कराह सुनकर अपराधियों पर कोई असर नहीं पड़ा।
पुलिस की कार्रवाई की सराहना: कोरमंगला पुलिस ने सामूहिक बलात्कार की घटना का पता चलने के तुरंत बाद त्वरित कार्रवाई की और सभी चार आरोपियों को गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त की। पुलिस की यह कार्रवाई बहुत सराहनीय रही, क्योंकि अगर पुलिस ने धीमी कार्रवाई की होती, तो अपराधी शहर छोड़कर अपने राज्यों में भाग सकते थे।
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