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यूरिक एसिड बढ़ने का असर किन अंगों पर सबसे ज़्यादा होता है? पूरी जानकारी आसान भाषा में

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सही खान-पान, नियमित दिनचर्या और कुछ जरूरी आदतों को अपनाकर हम यूरिक एसिड को नियंत्रित रख सकते हैं, आइए जानते हैं यूरिक एसिड बढ़ने से बचाव के आसान तरीके.

शरीर में यूरिक एसिड का स्तर सामान्य से ज़्यादा बढ़ जाता है, तो इसे हाइपरयूरिसीमिया (Hyperuricemia) कहा जाता है. यह स्थिति धीरे-धीरे शरीर के कई अंगों को प्रभावित करती है और अगर समय पर कंट्रोल न किया जाए तो गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है. यूरिक एसिड दरअसल शरीर में मौजूद प्यूरीन नामक तत्व के टूटने से बनता है.

सामान्य स्थिति में यह किडनी से फिल्टर होकर यूरिन के जरिए बाहर निकल जाता है, लेकिन जब इसका निर्माण अधिक हो या किडनी इसे ठीक से बाहर न निकाल पाए, तब यह शरीर में जमा होने लगता है. इसी स्थिति को बढ़ा हुआ यूरिक एसिड कहते हैं. यूरिक एसिड बढ़ने को हल्के में लेना खतरनाक हो सकता है क्योंकि यह सिर्फ जोड़ों तक सीमित नहीं रहता, बल्कि किडनी, हार्ट, त्वचा और पाचन तंत्र तक को डैमेज कर सकता है.

आइए जानें यूरिक एसिड बढ़ने के प्रमुख कारण क्या हैं.

1. जोड़ों (Joints) पर असर गठिया (Gout)

मैक्स अस्पताल में डॉ. रोहित कपूर बताते हैं कि पैरों के अंगूठे के जोड़, घुटने, टखने और उंगलियों के जोड़ इस वजह से सूज सकते हैं और इनमें तेज़ दर्द हो सकता है जिससे गठिया भी हो सकता है. गठिया अटैक में अचानक तेज दर्द, जलन और सूजन होती है, जिससे चलना-फिरना मुश्किल हो सकता है.

2. किडनी (Kidneys) पर असर स्टोन और डैमेज यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने से किडनी स्टोन (पथरी) बन सकती है. ये स्टोन यूरीन करने के रास्ते में फंस सकते हैं, जिससे पेशाब में जलन, दर्द और ब्लड आ सकता है. ज्यादा समय तक हाई यूरिक एसिड रहने से किडनी डैमेज या फेल्योर का खतरा भी होता है, क्योंकि किडनी इसे बाहर निकालने में थक जाती है.

3. दिल (Heart) पर असर कई रिसर्च में देखा गया है कि यूरिक एसिड का बढ़ा हुआ स्तर ब्लड प्रेशर और हार्ट डिजीज से जुड़ा हो सकता है. यह ब्लड वेसल्स को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल जैसी गंभीर समस्या हो सकती है. इससे हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ सकता है.

4. पाचन तंत्र (Digestive System) पर प्रभाव कुछ मामलों में यूरिक एसिड का ज्यादा स्तर शरीर में इंफ्लेमेशन (सूजन) पैदा करता है, जिससे पाचन तंत्र भी मुश्किल में पड़ सकता है और digestion की दिक्कत भी रहने लगती है. इसके कारण गैस, अपच और भूख न लगने जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

5. त्वचा पर गांठें (Skin & Tissues) लंबे समय तक यूरिक एसिड बढ़ा रहने से यह त्वचा के नीचे क्रिस्टल के रूप में जमा हो सकता है, जिसे टोफी (Tophi) कहा जाता है. ये सख्त गांठों की तरह दिखते हैं और खासकर उंगलियों, घुटनों और कानों के पास नजर आते हैं.

अच्छी बात ये है कि सही खान-पान, नियमित दिनचर्या और कुछ जरूरी आदतों को अपनाकर हम यूरिक एसिड को नियंत्रित रख सकते हैं.

आइए जानते हैं यूरिक एसिड बढ़ने से बचाव के आसान तरीके-

1 सबसे जरूरी परहेज है शराब और बीयर से पूरी तरह बचें.

2 वजन को नियंत्रित रखें. ग्रीन टी और नींबू पानी का सेवन करें

3 रेड मीट, मछली (विशेष रूप से सार्डिन, एंकोवी), ऑर्गन मीट (जैसे कलेजा), मटर, दालें, मशरूम, पालक और बीयर जैसी चीज़ों में प्यूरीन की मात्रा अधिक होती है. इन्हें खाने से पहले डॉक्टर से सलाह ले लें.

4 दिनभर में 8-10 गिलास पानी पीने से किडनी यूरिक एसिड को बेहतर तरीके से बाहर निकाल पाती है.

5 कोल्ड ड्रिंक्स, पैक्ड जूस, मिठाइयां और फ्रक्टोज़ सिरप जैसी चीजों से दूरी बनाएं.

6 दूध, दही जैसे लो-फैट डेयरी आइटम्स शरीर से यूरिक एसिड निकालने में सहायक माने जाते हैं.

7 अगर डाइट और लाइफस्टाइल से यूरिक एसिड कंट्रोल न हो तो डॉक्टर की सलाह लें.

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