पटना : बिहार के खगड़िया विधानसभा सीट पर इस बार का चुनावी रंग कुछ अलग ही चढ़ा है। परंपरागत द्विपक्षीय मुकाबले को तोड़ते हुए निर्दलीय उम्मीदवार मनीष कुमार सिंह ने त्रिकोणीय लड़ाई को जन्म दिया है। महागठबंधन की ओर से कांग्रेस के चंदन यादव और एनडीए से जदयू के बबलू मंडल के बीच सीधी टक्कर की उम्मीद थी, लेकिन मनीष सिंह के जोरदार कैंपेन ने सारे समीकरण उलट-पुलट कर रख दिए हैं।
जातीय बंधनों से ऊपर उठकर उनका डोर-टू-डोर प्रचार लोगों के दिलों में जगह बना रहा है, और जनता नए विकल्प की तलाश में दिख रही है।
एनडीए खेमे में हलचल मची है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और भोजपुरी स्टार मनोज तिवारी जैसे दिग्गज नेता बबलू मंडल के समर्थन में रैलियां कर रहे हैं, हुंकार भर रहे हैं।
शाह ने हाल ही में एक सभा में कहा, “खगड़िया का विकास एनडीए के साथ ही संभव है।” लेकिन मैदान में मनीष सिंह की बढ़ती भीड़ इन दावों को चुनौती दे रही है। शुक्रवार को माड़र इलाके में मुस्लिम समुदाय ने जिस उत्साह से उनका स्वागत किया, वह वोट बैंक में बड़ा बदलाव ला सकता है। अगर यह उत्साह मतदान में तब्दील हुआ, तो परिणाम चौंकाने वाले हो सकते हैं।
चुनावी माहौल को और गर्म कर रही है स्थानीय बनाम बाहरी की बहस। चंदन यादव को स्थानीय चेहरा बताकर महागठबंधन वोटरों को लुभा रहा है, जबकि बबलू मंडल विकास के वादों पर जोर दे रहे हैं। लेकिन मनीष सिंह, जो खुद को ‘जनता का सेवक’ कहते हैं, बिना किसी गठबंधन के समर्थन से ही लहर पैदा कर रहे हैं। उनके कैंपेन में युवा, महिलाएं और किसान बड़ी संख्या में जुड़ रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि खगड़िया की जनता इस बार बदलाव के मूड में है – जाति और गठबंधन से परे जाकर।
कुल मिलाकर, यह सीट अब सिर्फ दो गठबंधनों की जंग नहीं रह गई। मनीष सिंह की धमक ने इसे रोमांचक बना दिया है। मतदान के दिन क्या होगा, यह तो वक्त बताएगा, लेकिन फिलहाल त्रिकोणीय मुकाबला सभी की नजरें खींच रहा है। क्या निर्दलीय इतिहास रचेगा? इंतजार कीजिए!
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