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भारत में वैवाहिक बलात्कार: एक अनदेखा मुद्दा

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वैवाहिक बलात्कार की गंभीरता

वैवाहिक बलात्कार, जिसे मैरिटल रेप भी कहा जाता है, एक ऐसा विषय है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। भारत सहित कई देशों में महिलाएं इस समस्या का सामना कर रही हैं। कई सांस्कृतिक मान्यताएं यह मानती हैं कि विवाह के बाद पत्नी के शरीर पर पति का अधिकार होता है, जिससे यह धारणा बनती है कि पति जो चाहे कर सकता है। यह सोच विवाह जैसी पवित्र संस्था को विकृत कर रही है। बिना पत्नी की सहमति के शारीरिक संबंध बनाना न केवल एक अपराध है, बल्कि यह पूरी तरह से अनैतिक भी है। महिलाएं अक्सर शिकायत करती हैं कि उनके पति ने उनकी सहमति के बिना शारीरिक संबंध बनाए।


कानूनी स्थिति

यह सवाल उठता है कि क्या पति-पत्नी के बीच यौन संबंधों के लिए कोई नियम नहीं हैं। भारत में, वैवाहिक बलात्कार को अपराध नहीं माना जाता है। हालांकि, यह सुनिश्चित किया गया है कि पत्नी की उम्र 18 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए। कई संगठन इसे अपराध घोषित करने की मांग कर रहे हैं। 2017 में, केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा था कि वैवाहिक बलात्कार को आपराध नहीं माना जा सकता, क्योंकि इससे विवाह जैसी संस्था अस्थिर हो जाएगी।


वैश्विक परिप्रेक्ष्य

दुनिया के 185 देशों में से 77 देशों में वैवाहिक बलात्कार पर कानून है। भारत समेत 34 देशों में यह माना जाता है कि पति द्वारा पत्नी का बलात्कार नहीं हो सकता। भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के अनुसार, पति-पत्नी के बीच यौन संबंध को बलात्कार नहीं कहा जा सकता। हालांकि, 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की से शारीरिक संबंध बनाना बलात्कार है, भले ही वह उसकी पत्नी हो।


समाज में बदलाव की आवश्यकता

सीएनएन की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में वैवाहिक घरों के अंदर क्या होता है, यह जानना लगभग असंभव है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय समाज पितृसत्तात्मक है, जहां पत्नियों से कुछ व्यवहार की अपेक्षा की जाती है। 2017 में वोग द्वारा प्रकाशित एक लेख में उल्लेख किया गया है कि 1993 तक कुछ अमेरिकी राज्यों में वैवाहिक बलात्कार कानूनी था।


महिलाओं के लिए कानूनी विकल्प

भारत में, रेप का आरोप लगाने वाली महिलाओं के पास अपने पतियों के खिलाफ कुछ कानूनी विकल्प हैं। वे नागरिक कानून के तहत निरोधक आदेश की मांग कर सकती हैं या भारतीय दंड संहिता की धारा 354 के तहत आरोप लगा सकती हैं। हालांकि, जब विवाहित महिलाएं पुलिस में शिकायत दर्ज कराने की कोशिश करती हैं, तो अक्सर उन्हें अनदेखा किया जाता है।


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