गोरख मुंडी, जिसे संस्कृत में श्रावणी महामुण्डी, अरुणा, तपस्विनी और नीलकदम्बिका जैसे नामों से जाना जाता है, कई स्वास्थ्य समस्याओं के लिए लाभकारी मानी जाती है। यह अजीर्ण, टीबी, छाती में जलन, पागलपन, अतिसार, वमन, मिर्गी, दमा, पेट में कीड़े, कुष्ठरोग, विष विकार, असमय बालों का सफेद होना, और आंखों के रोगों में उपयोगी है। इसके अलावा, इसे बुद्धि को बढ़ाने वाला भी माना जाता है। गोरख मुंडी की गंध बहुत तीखी होती है।
गोरख मुंडी की विशेषताएँ
गोरख मुंडी एक वार्षिक प्रसर वनस्पति है, जो धान के खेतों और अन्य नम स्थानों पर वर्षा के बाद उगती है। यह लसदार, रोमश और सुगंधित होती है। इसके कांड में पत्ते होते हैं और पुष्प सूक्ष्म किरमजी रंग के होते हैं।
गोरख मुंडी के औषधीय गुण
गोरख मुंडी के चार ताजे फल चबाकर और दो घूंट पानी के साथ सेवन करने से आंखों की रोशनी में सुधार होता है। इसके पत्तों को पीसकर मलहम के रूप में लगाने से नारू रोग ठीक हो जाते हैं। गोरख मुंडी और सौंठ का चूर्ण मिलाकर लेने से आम वात की पीड़ा कम होती है।
गोरख मुंडी का उपयोग
गोरख मुंडी का चूर्ण और नीम की छाल मिलाकर काढ़ा बनाने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है। यह गले के लिए भी फायदेमंद है और आवाज को मीठा करती है। फोड़े-फुन्सी या खुजली के लिए इसके बीजों को पीसकर शक्कर के साथ लेने से लाभ होता है।
गोरख मुंडी से औषधि बनाने की विधि
गोरख मुंडी का पौधा उखाड़कर उसकी जड़ का चूर्ण बनाकर दूध के साथ सेवन करें। इसके अलावा, पौधे का रस निकालकर घी के साथ पकाने से एक गुणकारी मिश्रण तैयार होता है।
सेवन करने का तरीका
गोरख मुंडी की गोली को गरम दूध या हल्के गरम पानी के साथ दिन में दो बार लें। यह आंखों के लिए लाभकारी है और थकावट को दूर करती है।
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