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जलते घर की कहानी: सकारात्मक सोच से मिली राहत

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पिता की चिंता और बेटे की समझदारी

किसी भी स्थिति में दुख केवल मानसिकता का परिणाम होता है। यदि हम चीजों को एक अलग दृष्टिकोण से देखें, तो हम अपने दुख को कम कर सकते हैं। आज हम एक दिलचस्प कहानी साझा कर रहे हैं जो इस विचार को स्पष्ट करती है।


घर में आग लगने की घटना

एक समृद्ध व्यक्ति एक खूबसूरत बंगले में रहता था। एक दिन, जब वह शहर से बाहर गया था, लौटने पर उसने देखा कि उसके घर में धुआं उठ रहा है। आग की लपटें तेजी से उसके घर को घेरने लगीं।


घर को जलते हुए देखकर वह बहुत चिंतित हो गया और सोचने लगा कि उसे इसे बचाने के लिए क्या करना चाहिए। तभी उसका बड़ा बेटा वहां आया और बोला, "पिताजी, चिंता मत कीजिए, सब कुछ ठीक हो जाएगा।" पिता ने कहा, "मेरा सुंदर घर जल रहा है, मैं कैसे न घबराऊं?"


बेटे की सकारात्मक सोच

बेटे ने कहा, "मैंने आपको बताया नहीं, कुछ दिन पहले मुझे घर का एक खरीदार मिला था। मैंने उसे घर तीन गुना कीमत पर बेच दिया।" यह सुनकर पिता को राहत मिली और उन्होंने जलते घर को देखने लगे।


फिर उनका दूसरा बेटा आया और बोला, "पिताजी, हमारा घर जल रहा है, आप कुछ कीजिए।" पिता ने कहा, "कोई चिंता नहीं है, बड़े भाई ने इसे अच्छी कीमत पर बेच दिया है। अब यह हमारा घर नहीं रहा।"


बेटों की बातें और पिता की चिंता

दूसरे बेटे ने कहा, "बड़े भाई ने सौदा तो किया था, लेकिन वह पक्का नहीं हुआ। उसने अभी तक पैसे नहीं दिए हैं। अब इस जलते घर की कौन कीमत देगा?" यह सुनकर पिता फिर से चिंतित हो गए।


तभी उनका तीसरा बेटा आया और बोला, "पिताजी, चिंता मत कीजिए। मैंने उस व्यक्ति से बात की है जिसने घर खरीदने का वादा किया है। वह निश्चित रूप से घर खरीदेगा और पैसे भी देगा।" यह सुनकर पिता ने फिर से राहत महसूस की।


कहानी से सीख

इस कहानी से यह स्पष्ट होता है कि परिस्थितियों के अनुसार इंसान का व्यवहार बदलता है। सकारात्मक सोच रखने से दुख और परेशानियों से दूर रहना संभव है। यदि हम चीजों से लगाव न रखें और सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाएं, तो दुख अपने आप समाप्त हो जाता है।


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