हिंदू धर्म के ग्रंथों में मखाने का विशेष स्थान है, यही कारण है कि इसे पूजा और व्रत के दौरान उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, मखाने स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी होते हैं, क्योंकि इनमें एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल जैसे औषधीय गुण होते हैं, जो सेहत को बनाए रखने में मदद करते हैं।
मखाने की खेती की प्रक्रिया
मखाने की खेती दिसंबर में बीज बोने से शुरू होती है। अप्रैल में पौधों पर फूल खिलते हैं, और जुलाई में ये फूल पानी की सतह पर तैरने लगते हैं। फल कांटेदार होते हैं और लगभग दो महीने तक पानी के नीचे रहते हैं। इसके बाद, फूलों को इकट्ठा कर धूप में सुखाया जाता है। चूंकि मखाने की खेती पूरी तरह से जल में होती है, इसमें रासायनिक उर्वरकों का उपयोग नहीं किया जाता। बिहार के मिथिलांचल में 80 प्रतिशत मखाने की खेती होती है।
मखाने का उपयोग
भारत में मखाने का उपयोग मुख्यतः पूजा-पाठ में किया जाता है। इसके स्वास्थ्य लाभ भी कई हैं, जैसे प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन, एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-बैक्टीरियल गुण। मखाने को कच्चा, भूनकर या खीर बनाकर खाया जा सकता है।
मखाने के स्वास्थ्य लाभ
[object Object]
[object Object]
[object Object]
[object Object]
[object Object]
[object Object]
[object Object]
[object Object]
[object Object]
You may also like
19 अप्रैल के दिन इन राशियो को हो सकता है अपनी गलतियों का एहसास
नमक के अद्भुत फायदे: घर में सुख-समृद्धि लाने के उपाय
लखनऊ में नेक बैंड विस्फोट से युवक की मौत: सुरक्षा मानकों पर सवाल
Delhi Weather: दिल्ली-नोएडा में मौसम हुआ कूल-कूल, आंधी-बारिश ने कर दिया कमाल! मौसम विभाग ने आज भी जारी किया अलर्ट
आज का कुंभ राशिफल, 19 अप्रैल 2025 : व्यापार में होगा बड़ा मुनाफा, जरूरतमंद लोगों की मदद करें