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सिम स्वैपिंग और ई-सिम फ्रॉड: जानें कैसे बचें इन खतरनाक धोखों से

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साइबर अपराधियों के नए तरीके

साइबर अपराधियों के नए तरीकों से बचना अब पहले से कहीं अधिक आवश्यक हो गया है। मोबाइल नंबर से जुड़े धोखाधड़ी के मामलों में तेजी आई है, जिसमें सिम स्वैपिंग और ई-सिम धोखाधड़ी सबसे गंभीर हैं।


हाल ही में नोएडा और मुंबई में हुई घटनाओं ने इस खतरे को और बढ़ा दिया है।


धोखाधड़ी की प्रक्रिया

कैसे होता है यह घोटाला?

साइबर अपराधी आमतौर पर सिम स्वैपिंग या ई-सिम एक्टिवेशन धोखाधड़ी के माध्यम से आपके मोबाइल नंबर को अपने नियंत्रण में ले लेते हैं। वे खुद को मोबाइल नेटवर्क प्रदाता का प्रतिनिधि बताकर कॉल या संदेश करते हैं। यूजर को बहलाकर वे एक ओटीपी (OTP) प्राप्त कर लेते हैं, जिससे वे सिम को अपने डिवाइस में सक्रिय कर लेते हैं। इसके बाद, वे बैंकिंग ऐप्स, यूपीआई (UPI) और अन्य डिजिटल सेवाओं तक पहुंच बना लेते हैं, जिससे लाखों रुपये की धोखाधड़ी हो सकती है.


नोएडा की घटना: एक कॉल ने खाली कर दिए बैंक खाते

नोएडा की निवासी ज्योत्सना के साथ ऐसा ही हुआ। उन्हें एक अनजान व्हाट्सएप कॉल आई, जिसमें एक व्यक्ति ने खुद को उनके टेलीकॉम प्रदाता का अधिकारी बताया। उस व्यक्ति ने ई-सिम से जुड़े एक फर्जी ऑफर के बारे में बताया और एक ओटीपी साझा करने को कहा। ज्योत्सना ने बिना सोचे-समझे यह ओटीपी साझा कर दिया। तीन दिन बाद, जब उनकी सिम पूरी तरह निष्क्रिय हो गई, तब उन्हें शक हुआ। उन्होंने जब अपने मोबाइल ऑपरेटर से संपर्क किया, तो उन्हें एक डुप्लिकेट सिम जारी करवाने की सलाह दी गई। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। जब उनका नंबर फिर से चालू हुआ, तो उन्हें बैंक से आए मैसेज पढ़कर झटका लगा:



  • उनका फिक्स्ड डिपॉजिट खत्म हो चुका था।

  • उनके बैंक खातों से सारा पैसा गायब हो चुका था।

  • उनके नाम पर 7.40 लाख रुपये का कार लोन लिया जा चुका था।


वे तुरंत पुलिस स्टेशन पहुंचीं, लेकिन साइबर अपराधियों ने रकम को इतनी जल्दी ट्रांसफर कर दिया था कि उसे वापस लाना संभव नहीं था।


मुंबई में कारोबारी के साथ 7.5 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी

एक अन्य मामले में, मुंबई के एक व्यवसायी के बैंक खाते से 7.5 करोड़ रुपये गायब हो गए। अपराधियों ने टेलीकॉम ऑपरेटर को गुमराह कर नया सिम एक्टिवेट करवाया और उनके बैंक के वन-टाइम पासवर्ड (OTP) तक पहुंच बना ली। इसके जरिए उन्होंने पूरे अकाउंट से पैसे निकाल लिए।हालांकि, इस मामले में व्यवसायी की सतर्कता काम आई। उन्होंने तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 पर कॉल कर घटना की सूचना दी। अधिकारियों ने तेजी से कार्रवाई करते हुए 4.65 करोड़ रुपये जब्त करने में सफलता पाई, इससे पहले कि अपराधी पूरी रकम विदेशों में ट्रांसफर कर पाते।


सिम स्वैप फ्रॉड क्या है?

क्या होता है सिम स्वैप फ्रॉड?

सिम स्वैपिंग या सिम कार्ड क्लोनिंग में साइबर अपराधी किसी व्यक्ति का मोबाइल नंबर अपने कब्जे में ले लेते हैं। यह प्रक्रिया कुछ इस तरह काम करती है:



  • साइबर अपराधी पीड़ित के बारे में जानकारी जुटाते हैं – सोशल मीडिया या डेटा लीक के जरिए वे फोन नंबर, बैंकिंग डिटेल और व्यक्तिगत जानकारी एकत्र करते हैं।

  • टेलीकॉम कंपनी को गुमराह करते हैं – वे खुद को ग्राहक बताकर टेलीकॉम प्रदाता को कॉल करते हैं और डुप्लिकेट सिम कार्ड जारी करवाते हैं।

  • ओटीपी एक्सेस कर लेते हैं – जैसे ही नया सिम एक्टिवेट होता है, पुराने सिम की सेवाएं बंद हो जाती हैं और अपराधी ओटीपी एक्सेस कर बैंक खाते से पैसे उड़ा लेते हैं।


  • साइबर फ्रॉड से बचने के उपाय

    कैसे बचें इस तरह के साइबर फ्रॉड से?

    साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ तुषार शर्मा का कहना है, "साइबर अपराधी लगातार नए-नए तरीके निकाल रहे हैं। जागरूकता और सतर्कता ही इनसे बचने का सबसे अच्छा तरीका है।" आप निम्नलिखित सावधानियां बरतकर ऐसे घोटालों से बच सकते हैं:


    ✅ किसी भी अनजान कॉलर को ओटीपी न बताएं।
    ✅ ई-सिम या सिम स्वैप के लिए टेलीकॉम कंपनी के ऑफिशियल कस्टमर केयर से ही संपर्क करें।
    ✅ अगर अचानक आपका नेटवर्क बंद हो जाए और कोई कॉल या मैसेज न आए, तो तुरंत अपने ऑपरेटर से संपर्क करें।
    ✅ अपने बैंक खातों में दो-चरणीय सुरक्षा (2FA) को सक्रिय करें।
    ✅ साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 और रिपोर्टिंग पोर्टल (www.cybercrime.gov.in) की जानकारी रखें।


    आज के डिजिटल युग में मोबाइल नंबर आपकी डिजिटल पहचान और वित्तीय सुरक्षा से सीधे जुड़ा हुआ है। ऐसे में अगर कोई आपका नंबर अपने कब्जे में ले लेता है, तो आपकी पूरी आर्थिक स्थिति खतरे में पड़ सकती है। इसीलिए सतर्क रहें, किसी भी संदिग्ध कॉल या मैसेज पर भरोसा न करें और अपनी डिजिटल सुरक्षा को प्राथमिकता दें।


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