भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक 7 अप्रैल, 2025 से शुरू होने वाली है. इस बैठक से लोन लेने वालों को राहत मिलने की उम्मीद जताई जा रही है. ऐसी संभावना जताई जा रही है कि आरबीआई रेपो रेट में 25 आधार अंकों (0.25%) की कटौती कर सकता है. अभी रेपो रेट 6.25% पर है, फरवरी 2025 में, RBI ने पांच साल में पहली बार रेपो रेट को 6.5% से 25 आधार अंक घटाकर 6.25% किया था. आम जनता को मिलेगा तोहफा?यदि आरबीआई के द्वारा इस बार भी 25 आधार अंकों की कमी की जाती है तो रेपो रेट 6% तक पहुंच सकता है. जिसे आम लोगों को लोन लेने में आसानी होगी. रेपो रेट में कटौती का सीधा असर होम लोन, कार लोन और अन्य लोन की EMI पर पड़ सकता है, जिससे वे सस्ते हो सकते हैं. ट्रंप के टैरिफ से निपटने के लिए बड़ा कदमऐसा माना जा रहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा लगाए गए टैरिफ से निपटने के लिए भी आरबीआई के द्वारा बड़ा कदम उठाए जा सकता है. इस बैठक की शुरुआत 7 अप्रैल से होगी, जिसके नतीजे की घोषणाएं 9 अप्रैल को की जाएगी. नए गवर्नर संजय मल्होत्रा के नेतृत्व में दूसरी एमपीसी की बैठक होगी. फरवरी 2025 में उनकी पहली बैठक में रेपो रेट को 6.25% तक कम किया गया था. लोन लेने वालों के लिए क्या मतलब?अगर रेपो रेट कम होती है, तो बैंक अपनी ब्याज दरें घटा सकते हैं, जिससे EMI कम होगी.उदाहरण के लिए, 20 साल के 50 लाख रुपये के होम लोन पर 0.25% की कमी से मासिक EMI में लगभग 700-1000 रुपये की बचत हो सकती है. ऐसे लोग जो अपने मौजूदा लोन को रिफाइनेंस करने की सोच रहे हैं उन लोगों के लिए आरबीआई के रेपो रेट में कटौती बड़ी राहत हो सकती है. ट्रंप का टैरिफ और रेट कटअमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 26% का भारी टैरिफ लगाया है. इस टैरिफ के कारण भारतीय निर्यात प्रभावित हो सकता है खासकर आईटी, फार्मा, टेक्सटाइल जैसे क्षेत्र प्रभावित होंगे. इसके रुपये में आई गिरावट भी चिंता का कारण बना हुआ है. यदि आरबीआई के द्वारा रेपो रेट में कटौती की जाती है तो इसे लोन सस्ते होंगे जिसे घरेलू खपत और निवेश पड़ेगा जो निर्यात में आई कमी की भरपाई कर सकता है. इसके अलावा बैंकों के पास उधार देने के लिए ज्यादा पैसे होंगे जिससे अर्थव्यवस्था में नई गति आएगी. इतना ही नहीं रेपो रेट में कटौती से रुपये पर दबाव भी कम हो सकता है.. विशेषज्ञों की क्या है रायबार्कलेज का कहना है कि अप्रैल में 25 bps कटौती की भविष्यवाणी, लेकिन टैरिफ के प्रभाव को देखते हुए 35 bps की संभावना भी है. इसके अलावा आईसीआरए को 25 bps कटौती की उम्मीद है, लेकिन तटस्थ रुख बरकरार रहने का अनुमान. असोचैम ने सुझाव दिया कि RBI को हाल की तरलता बढ़ाने वाली कार्रवाइयों के प्रभाव देखने के लिए इंतजार करना चाहिए, न कि तुरंत दरें कम करनी चाहिए.
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