पंजाब नेशनल बैंक (PNB) के 2 अरब डॉलर के बहुचर्चित घोटाले के प्रमुख आरोपी मेहुल चोकसी को बेल्जियम में गिरफ्तार कर लिया गया है. यह गिरफ्तारी केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के अनुरोध पर हुई, जो लंबे समय से चौकसी की तलाश में थी. जानकारी रखने वाले सूत्रों के अनुसार, वह फिलहाल बेल्जियम की जेल में है.भारत की जांच एजेंसियों ने जब चौकसी को बेल्जियम में देखा, तो तुरंत वहां की सरकार को औपचारिक संप्रेषण भेजकर उसकी गिरफ्तारी और प्रत्यर्पण की मांग की. इसके जवाब में, बेल्जियम पुलिस ने मुंबई कोर्ट द्वारा जारी दो खुली गिरफ्तारी वारंट्स के आधार पर चोकसी को हिरासत में लिया. ये वारंट 23 मई 2018 और 15 जून 2021 को जारी किए गए थे. चोकसी इलाज के लिए पहुंचा है यूरोपचोकसी, जो सामान्यतः एंटीगुआ में रहता है, यूरोप में इलाज के सिलसिले में आया था. उसके वकीलों का कहना है कि वह गंभीर बीमारी से पीड़ित है और बेल्जियम की अदालत में जमानत की मांग करेगा. उसने पहले मुंबई की एक अदालत में भी रक्त कैंसर (क्रॉनिक लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया और लिम्फोमा) होने का हवाला देते हुए भारत आने से असमर्थता जताई थी. CBI और ED जमानत का करेगी विरोधहालांकि, भारत की CBI और प्रवर्तन निदेशालय (ED) दोनों एजेंसियां बेल्जियम की अदालत में चोकसी की जमानत का विरोध करेंगी और उसके प्रत्यर्पण के लिए पूरी कोशिश करेंगी. एजेंसियों का आरोप है कि चौकसी और उसके भतीजे नीरव मोदी ने बैंक अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर PNB को करोड़ों का चूना लगाया. चोकसी के खिलाफ ED ने जांच की तेजईडी ने चोकसी के खिलाफ अपनी जांच को और तेज करते हुए देश-विदेश में उसकी संपत्तियों की पहचान शुरू कर दी है. जनवरी में रिपोर्ट आई थी कि चौकसी के लगभग ₹80 करोड़ के अवैध रूप से अर्जित धन को विदेशों में ट्रैक किया गया है. ईडी ने थाईलैंड, दुबई, जापान और अमेरिका में स्थित उसकी पांच संपत्तियों की पहचान की है.दिसंबर 2023 में ईडी ने बताया था कि उसने चौकसी की 2,500 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों की बहाली की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसमें से 125 करोड़ रुपये की संपत्तियां गीतांजलि जेम्स के लिक्विडेटर को सौंप दी गई हैं. इस कार्रवाई का उद्देश्य घोटाले के पीड़ितों को न्याय दिलाना और बैंकिंग प्रणाली में विश्वास बहाल करना है.अब जबकि चोकसी गिरफ्त में है, भारत के लिए उसे वापस लाकर न्याय के कटघरे में खड़ा करने की राह थोड़ी आसान हो सकती है, हालांकि उसकी मेडिकल स्थिति और कानूनी प्रक्रिया इस रास्ते को लंबा बना सकती है.(अस्वीकरण: विशेषज्ञों द्वारा दी गई सिफारिशें, सुझाव, विचार और राय उनके अपने हैं. ये इकोनॉमिक टाइम्स हिन्दी के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं)
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