भारत एक बार फिर दुनिया में चावल निर्यात के मामले में नया रिकॉर्ड बनाने की ओर है. इंटरनेशनल ग्रेन्स काउंसिल (IGC) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2025-26 में भारत 2.34 करोड़ टन यानी 23.4 मिलियन टन चावल निर्यात करेगा, जो पिछले साल के मुकाबले करीब 2% ज्यादा है.
अफ्रीका और एशिया से बढ़ी डिमांडइसका सबसे बड़ा कारण अफ्रीकी देशों से आई मजबूत मांग और फिलीपींस तथा मलेशिया जैसे एशियाई बाजारों में शिपमेंट की वापसी है. भारत आज दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक है और अकेले ही वैश्विक चावल व्यापार का एक-तिहाई हिस्सा पूरा करता है. IGC का अनुमान है कि इस साल पूरी दुनिया में 5.99 करोड़ टन चावल का कारोबार होगा, जिसमें अकेले भारत का योगदान 23.4 मिलियन टन होगा.
भारत का दबदबा लगातार बढ़ रहा है. पिछले वित्त वर्ष (FY25) में भारत ने 1.98 करोड़ टन चावल निर्यात किया, जो FY24 के 1.63 करोड़ टन से कहीं ज्यादा था.
बाढ़ के बावजूद रिकॉर्ड निर्यातपंजाब और हरियाणा में आई बाढ़ ने इस सीज़न में फसलों को नुकसान पहुंचाया है. ये दोनों राज्य देश के बासमती चावल उत्पादन का करीब 75% हिस्सा देते हैं. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि भारत की ताकत यही है कि चावल उत्पादन का इलाका बहुत बड़ा और विविध है. पूर्वी और दक्षिणी राज्यों में अच्छी खेती हो रही है, जिससे नुकसान संतुलित हो रहा है.
चमन लाल सेटिया एक्सपोर्ट्स के निदेशक और ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (AIREA) के पूर्व अध्यक्ष विजय सेटिया ने कहा, “पंजाब का नुकसान चिंता की बात है, लेकिन भारत का उत्पादन बेस इतना बड़ा और फैला हुआ है कि क्षेत्रीय झटकों को झेल लेता है.”
AIREA ने अनुमान लगाया है कि इस साल बासमती निर्यात 65 लाख टन तक पहुंच सकता है, जबकि पिछले साल ये 60.6 लाख टन था।
वैश्विक स्थितिकृषि मंत्रालय के अनुसार, इस बार खरीफ सीज़न में धान की बुवाई 4.38 करोड़ हेक्टेयर में हुई है, जो पिछले साल के 4.3 करोड़ हेक्टेयर से ज्यादा है.
IGC का कहना है कि इस बार दुनिया भर में अनाज का स्टॉक भी रिकॉर्ड स्तर पर है. कुल मिलाकर 18.7 करोड़ टन अनाज का स्टॉक मौजूद है. खपत में मामूली गिरावट आई है, जिससे निर्यात के अवसर और बढ़ गए हैं.
भारत का फायदाभारत अलग-अलग देशों की अलग-अलग ज़रूरतें पूरी करता है. पश्चिम एशिया और यूरोप को प्रीमियम बासमती चावल भेजा जाता है, जबकि अफ्रीकी देशों को सस्ता नॉन-बासमती, खासकर परबॉयल्ड चावल, निर्यात किया जाता है. यही वजह है कि भारत ग्लोबल मार्केट में सबसे भरोसेमंद सप्लायर माना जाता है.
अन्य फसलों का हालIGC की रिपोर्ट सिर्फ चावल तक सीमित नहीं है. इसमें गेहूं का उत्पादन 81.9 करोड़ टन अनुमानित है, जो अब तक का रिकॉर्ड है. मक्का उत्पादन 129.7 करोड़ टन रहने का अनुमान है, जबकि सोयाबीन की वैश्विक मांग भी 2% बढ़कर 18.4 करोड़ टन तक जा सकती है. चीन की बढ़ती मांग इसके पीछे बड़ी वजह है.
WTO में भारत का रुखइसी बीच WTO में भी भारत ने आक्रामक रुख अपनाया है. हाल ही में भारत ने अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान समेत कई देशों से कृषि सब्सिडी पर सवाल उठाए. भारत ने अमेरिका के $16 बिलियन डिसास्टर रिलीफ प्रोग्राम और अन्य योजनाओं पर आपत्ति जताई है.
दरअसल, अमेरिका ने हाल ही में भारत की आपत्तियों को खारिज किया था. इसके जवाब में अब भारत ने भी साफ कर दिया है कि वैश्विक व्यापार में पारदर्शिता दोनों तरफ से होनी चाहिए.
अफ्रीका और एशिया से बढ़ी डिमांडइसका सबसे बड़ा कारण अफ्रीकी देशों से आई मजबूत मांग और फिलीपींस तथा मलेशिया जैसे एशियाई बाजारों में शिपमेंट की वापसी है. भारत आज दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक है और अकेले ही वैश्विक चावल व्यापार का एक-तिहाई हिस्सा पूरा करता है. IGC का अनुमान है कि इस साल पूरी दुनिया में 5.99 करोड़ टन चावल का कारोबार होगा, जिसमें अकेले भारत का योगदान 23.4 मिलियन टन होगा.
भारत का दबदबा लगातार बढ़ रहा है. पिछले वित्त वर्ष (FY25) में भारत ने 1.98 करोड़ टन चावल निर्यात किया, जो FY24 के 1.63 करोड़ टन से कहीं ज्यादा था.
बाढ़ के बावजूद रिकॉर्ड निर्यातपंजाब और हरियाणा में आई बाढ़ ने इस सीज़न में फसलों को नुकसान पहुंचाया है. ये दोनों राज्य देश के बासमती चावल उत्पादन का करीब 75% हिस्सा देते हैं. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि भारत की ताकत यही है कि चावल उत्पादन का इलाका बहुत बड़ा और विविध है. पूर्वी और दक्षिणी राज्यों में अच्छी खेती हो रही है, जिससे नुकसान संतुलित हो रहा है.
चमन लाल सेटिया एक्सपोर्ट्स के निदेशक और ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (AIREA) के पूर्व अध्यक्ष विजय सेटिया ने कहा, “पंजाब का नुकसान चिंता की बात है, लेकिन भारत का उत्पादन बेस इतना बड़ा और फैला हुआ है कि क्षेत्रीय झटकों को झेल लेता है.”
AIREA ने अनुमान लगाया है कि इस साल बासमती निर्यात 65 लाख टन तक पहुंच सकता है, जबकि पिछले साल ये 60.6 लाख टन था।
वैश्विक स्थितिकृषि मंत्रालय के अनुसार, इस बार खरीफ सीज़न में धान की बुवाई 4.38 करोड़ हेक्टेयर में हुई है, जो पिछले साल के 4.3 करोड़ हेक्टेयर से ज्यादा है.
IGC का कहना है कि इस बार दुनिया भर में अनाज का स्टॉक भी रिकॉर्ड स्तर पर है. कुल मिलाकर 18.7 करोड़ टन अनाज का स्टॉक मौजूद है. खपत में मामूली गिरावट आई है, जिससे निर्यात के अवसर और बढ़ गए हैं.
भारत का फायदाभारत अलग-अलग देशों की अलग-अलग ज़रूरतें पूरी करता है. पश्चिम एशिया और यूरोप को प्रीमियम बासमती चावल भेजा जाता है, जबकि अफ्रीकी देशों को सस्ता नॉन-बासमती, खासकर परबॉयल्ड चावल, निर्यात किया जाता है. यही वजह है कि भारत ग्लोबल मार्केट में सबसे भरोसेमंद सप्लायर माना जाता है.
अन्य फसलों का हालIGC की रिपोर्ट सिर्फ चावल तक सीमित नहीं है. इसमें गेहूं का उत्पादन 81.9 करोड़ टन अनुमानित है, जो अब तक का रिकॉर्ड है. मक्का उत्पादन 129.7 करोड़ टन रहने का अनुमान है, जबकि सोयाबीन की वैश्विक मांग भी 2% बढ़कर 18.4 करोड़ टन तक जा सकती है. चीन की बढ़ती मांग इसके पीछे बड़ी वजह है.
WTO में भारत का रुखइसी बीच WTO में भी भारत ने आक्रामक रुख अपनाया है. हाल ही में भारत ने अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान समेत कई देशों से कृषि सब्सिडी पर सवाल उठाए. भारत ने अमेरिका के $16 बिलियन डिसास्टर रिलीफ प्रोग्राम और अन्य योजनाओं पर आपत्ति जताई है.
दरअसल, अमेरिका ने हाल ही में भारत की आपत्तियों को खारिज किया था. इसके जवाब में अब भारत ने भी साफ कर दिया है कि वैश्विक व्यापार में पारदर्शिता दोनों तरफ से होनी चाहिए.
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