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मस्क ने छोड़ा ट्रंप का साथ, 130 दिनों के कार्यकाल के पांच बड़े विवाद

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Getty Images बीते जनवरी में शपथ ग्रहण के तुरंत बाद डोनाल्ड ट्रंप ने खर्च कटौती करने वाले विभाग डीओजीई के गठन की घोषणा की थी.

स्पेसएक्स और टेस्ला प्रमुख अमेरिकी टेक अरबपति एलन मस्क ने ट्रंप प्रशासन के डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (डीओजीई) यानी खर्च कटौती विभाग से अलग होने का एलान किया है.

गुरुवार को मस्क ने एक्स पर , "विशेष सरकारी कर्मचारी के रूप में मेरा तय समय पूरा होने पर, मैं राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने मुझे फालतू खर्च को कम करने का मौका दिया."

उन्हें 'स्पेशल गवर्नमेंट एम्प्लाई' का दर्जा मिला था जिसके तहत हर साल 130 दिनों तक उन्हें संघीय नौकरी में रहने की इजाज़त थी. इस साल 20 जनवरी को ट्रंप के शपथ ग्रहण से जोड़ा जाय तो वैसे भी उनके कार्यकाल की सीमा मई के अंत में ख़त्म होने वाली थी.

मस्क का सरकार से बाहर निकलना दरअसल ट्रंप के बजट से 'निराशा' जताने के बाद हुआ, जिसमें मल्टी-ट्रिलियन डॉलर की टैक्स छूट और रक्षा खर्च को बढ़ावा देने वाले प्रस्ताव मौजूद हैं.

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image Getty Images अमेरिकी प्रशासन में आक्रामक खर्च कटौती को लेकर एलन मस्क आलोचकों के निशाने पर आ गए थे

ट्रंप ने अपने बजट बिल को 'बड़ा और सुंदर' बताया था और मस्क ने इस बिल की आलोचना की थी. यह बिल राष्ट्रपति ट्रंप के एजेंडे का अहम हिस्सा है.

व्हाइट हाउस ने कहा है कि बुधवार (अमेरिकी समयानुसार) से मस्क के 'स्पेशल गवर्नमेंट एम्प्लाई' दर्जे को ख़त्म कर दिया जाएगा.

लेकिन मस्क का बाहर होना सिर्फ ट्रंप सरकार में एक बड़े उलट फेर को ही नहीं दर्शाता है. मस्क रिपब्लिकन पार्टी के सबसे बड़े डोनर रहे हैं. उन्होंने पिछले साल क़रीब दिया था.

इतने वड़े डोनेशन के बाद उनके और ट्रंप के बीच नज़दीकियां बढ़ गई थीं.. हालांकि इस दौरान उनकी इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला के मुनाफ़े में भारी गिरावट देखी गई.

टेस्ला ने हाल ही में निवेशकों को चेतावनी दी थी कि वित्तीय मुश्किलें जारी रह सकती हैं. कंपनी ने ग्रोथ का पूर्वानुमान देने से इनकार करते हुए कहा कि 'राजनीतिक सेंटिमेंट में बदलाव', वाहनों की मांग को काफ़ी हद तक नुक़सान पहुंचा सकती है.

मस्क ने पिछले महीने निवेशकों से कहा था कि डीओजीई में उनकी व्यस्तता काफ़ी कम हो जाएगी और वह टेस्ला को अधिक समय दे पाएंगे.

ट्रंप प्रशासन में एक अहम पद पर रहते है एलन मस्क कई बार विवादों में घिरे. आइए नज़र डालते हैं ऐसै ही पांच विवादों पर -

1- ट्रंप के बजट की आलोचना image Getty Images बजट बिल की आलोचना के बाद एलन मस्क और ट्रंप के बीच दूरियां बढ़ने की अटकलें लगाई जाने लगी थीं

ट्रंप ने बजट विधेयक पेश किया था जिसे बहुत कम अंतर के साथ पिछले हफ़्ते यूएस हाउस ऑफ़ रेप्रेज़ेंटेटिव्स ने पास किया. अब यह बिल सीनेट के पास जाएगा.

मस्क ने बीबीसी के यूएस पार्टनर सीबीएस के साथ एक साक्षात्कार में कहा था कि इस बिल से संघीय घाटा बढ़ेगा. उन्होंने कहा कि ये बिल डीओजीई में किए जा रहे 'कामों को कमज़ोर' करता है.

उन्होंने यहां तक कहा कि 'ट्रंप की योजना बजट घाटे को कम करने की जगह बढ़ाएगी.'

लेकिन इस बजट बिल को ट्रंप ने 'बड़ा और सुंदर' बताया था, इस पर मस्क ने कहा, "यह बिल बड़ा या सुंदर हो सकता है? मुझे नहीं पता कि ये दोनों हो सकता है."

इस बिल में चार ट्रिलियन डॉलर के कर्ज की सीमा को बढ़ाने का प्रस्ताव है जिसका मतलब है कि अपने खर्चों के लिए सरकार अधिक कर्ज ले सकती है.

उनके इस बयान के बाद से ही लगने लगा था कि ट्रंप प्रशासन और एलन मस्क के बीच दूरियां बढ़ने लगी हैं.

2- कैबिनेट बैठकों में नोकझोंक image Brandon Bell/Getty Images खर्च कटौती को लेकर एलन मस्क और ट्रंप सरकार के मंत्रियों के बीच मतभेद तीखे़ हो गए थे

बीते मार्च की शुरुआत में सरकारी खर्च और कर्मचारियों की संख्या में कटौती के एलन मस्क के प्रयासों पर चर्चा करने के लिए कैबिनेट मंत्रियों की एक बैठक बुलाई गई थी.

इस बैठक के दौरान नेताओं में तीखी नोकझोंक हुई और विदेश मंत्री मार्को रुबियो की आलोचना करते हुए मस्क ने कहा कि वो 'टीवी पर ही अच्छे' दिखते हैं.

न्यूयॉर्क टाइम्स की ख़बर के अनुसार, मस्क ने विदेश मंत्री मार्को रुबियो पर विदेश विभाग में पर्याप्त स्टाफ़ की कटौती करने में विफल रहने का आरोप लगाया.

एलन मस्क की इस दौरान परिवहन मंत्री सीन डफ़ी के साथ भी बहस हुई क्योंकि डीओजीई ने फ़ेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन में ट्रैफ़िक कंट्रोलर्स की संख्या कम करने की कोशिश की, जबकि उनकी संख्या पहले से ही कम है.

ये बहस इतनी बढ़ गई कि ट्रंप को बीच-बचाव करना पड़ा और डीओजीआई की शक्तियों को परिभाषित करना पड़ा. ट्रंप ने कहा कि वो 'अब भी डीओजीई का समर्थन करते हैं, लेकिन अब से फ़ैसला लेने का काम मंत्रियों के पास ही होगा और मस्क की टीम का काम सिर्फ़ सलाह देना होगा.'

मीडिया में आई ख़बरों के अनुसार, ये बैठक बहुत जल्दबाज़ी में बुलाई गई थी और ट्रंप के हस्तक्षेप को इस बात का संकेत माना गया कि राष्ट्रपति ने एलन मस्क को मिली व्यापक शक्तियों को कम करने का निर्णय लिया.

3- डीओजीई बनते ही विवेक रामास्वामी बाहर image Getty Images ट्रंप ने चुनाव जीतने के बाद विवेक रामास्वामी को एलन मस्क के साथ डीओजीई की ज़िम्मेदारी दी थी

ट्रंप ने डीओजीई के गठन का एलान करते हुए इसकी ज़िम्मेदारी टेस्ला और स्पेसएक्स के मालिक एलन मस्क के साथ विवेक रामास्वामी को दी थी.

ट्रंप ने विवेक रामास्वामी को 'देशभक्त अमेरिकी' बताया था. लेकिन डीओजीई ने पहला फ़ैसला खुद को लेकर किया और कहा गया कि डीओजीई को केवल मस्क देखेंगे और विवेक रामास्वामी इससे बाहर हो गए.

रामास्वामी महज़ 39 साल के अमेरिकी नागरिक हैं. डीओजीई बनाने में विवेक रामास्वामी की अहम भूमिका मानी जाती है. हालांकि वह एफ़बीआई तक को बंद करने की वकालत करते रहे हैं.

उस समय मीडिया में ऐसी ख़बरें आईं कि एच-1 वीज़ा को लेकर ट्रंप और विवेक के बीच मतभेद पैदा हो गया था.

जनवरी में छपी न्यूयॉर्क टाइम्स की के अनुसार, ''ट्रंप के क़रीबियों का कहना है कि रामास्वामी कंजर्वेटिव्स से सोशल मीडिया पर एच-1 बी वीज़ा को लेकर उलझ रहे थे और यह ट्रंप को पसंद नहीं आया. रामास्वामी हाई स्किल्ड वर्कर्स को एच-1 बी वीज़ा देने का समर्थन कर रहे थे, लेकिन ट्रंप के कई समर्थक इसका विरोध कर रहे थे."

4- संघीय विभागों में कर्मचारियों की छंटनी image Getty Images अप्रैल में वॉशिंगटन डीसी में छंटनी के ख़िलाफ़ कर्मचारी संगठनों ने प्रदर्शन किया

एलन मस्क की टीम ने देश के लाखों संघीय कर्मचारियों को आधिकारिक सरकारी अकाउंट से कई ईमेल भेजे थे. इसमें उन्हें इस्तीफे़ के बदले कई महीनों का वेतन (एकमुश्त रकम) देने की बात कही गई थी.

इसके साथ ही इसमें कर्मचारियों को यह भी निर्देश गया कि वह बताएं कि उन्होंने सप्ताहभर में क्या काम किया. ऐसा न करने पर उन्हें नौकरी से निकालने की बात की गई थी.

कुछ एजेंसियों ने अपने कर्मचारियों से कहा कि वो इस ईमेल पर ध्यान न दें.

डीओजीई ने कई ऐसे नवनियुक्त सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त करने का भी आदेश दिया, जो प्रोबेशन पर थे और जिन्हें पूर्ण सिविल सेवा सुरक्षा नहीं मिली थी.

इस आदेश को कुछ सरकारी एजेंसियों ने ये कहते हुए रद्द कर दिया कि उन्हें कर्मचारियों की ज़रूरत है. इनमें परमाणु हथियार सुरक्षा की ज़िम्मेदारी संभाल रहे कर्मचारी भी शामिल थे.

शिक्षा से जुड़े कर्मचारियों ने छंटनी के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन भी किए.

5- यूएसएड को अचानक बंद करने का फ़ैसला image Getty Images तीन फ़रवरी को यूएसएड के सैकड़ों कर्मचारियों ने वॉशिंगटन डीसी में इसके हेडक्वार्टर के बाहर प्रदर्शन किया

फ़रवरी में ट्रंप प्रशासन ने अमेरिकी सरकार की प्रमुख विदेशी सहायता एजेंसी यूनाइटेड स्टेट एजेंसी फ़ॉर इंटरनेशनल डिवेलपमेंट (यूएसएड) को बंद करके उसे विदेश मंत्रालय में शामिल करने एलान किया था.

ट्रंप ने एजेंसी पर 'बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार' के आरोप लगाए थे और मस्क ने भी यूएसएड को बंद करने की बात कही थी. जनवरी के अंत में यूएसएड के दो शीर्ष अधिकारियों को छुट्टी पर भेज दिया गया और एजेंसी की वेबसाइट डाउन हो गई.

मस्क ने कई गंभीर आरोप लगाते हुए यूएसएड को 'एक आपराधिक संगठन' और 'कट्टर वामपंथी राजनीतिक मनोवैज्ञानिक अभियान' चलाने वाला कहा था.

एक लाइव स्ट्रीम के दौरान उन्होंने कहा था कि 'यह लाइलाज है.'

कई कर्मचारियों को बहुत कम मोहलत देते हुए एजेंसी छोड़ने को कहा गया.

यह एजेंसी दुनिया भर में अरबों डॉलर की मदद बांटती है, जिनमें भारत समेत दुनिया के कई देश हैं. यूएसएड की फ़ंडिंग बंद होने के बाद इसके ज़रिए चलाए जाने वाले स्वास्थ्य और पोषण से जुड़े कई कार्यक्रमों पर असर पड़ने की आशंका जताई गई थी.

मस्क के बयान के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने कहा था कि यूएसएड की कई गतिविधियां जारी रहेंगी.

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