देशभर के शहरों की स्वच्छता को मापने वाले स्वच्छता सर्वेक्षण का नतीजा गुरुवार को जारी हुआ। जनसंख्या के हिसाब से 3-10 लाख की आबादी वाले 101 शहरों में जोधपुर दक्षिण 63वें और जोधपुर उत्तर 56वें स्थान पर रहा। इतने संसाधनों के बावजूद, राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा शहर जोधपुर रैंकिंग में टॉप टेन में जगह नहीं बना पाया।
दरअसल, निगम ने इस बार रैंकिंग सुधारने के लिए काफी प्रयास किए, लेकिन टॉप टेन स्वच्छ शहरों में जगह नहीं बना पाया। अधिकारी खुद मान रहे हैं कि उन्हें वो स्थान नहीं मिला जो मिलना चाहिए था। निगम के स्वास्थ्य अधिकारी सचिन मौर्य ने बताया कि इस बार रैंकिंग सुधारने के लिए निगम ने बाजार में कचरा फैलाने पर जुर्माना लगाया।उन्होंने बताया कि शहर के प्रमुख जल स्रोतों की सफाई पर फोकस रहा। स्वच्छता मित्रों को समय-समय पर प्रोत्साहित किया गया। इससे रैंकिंग में कुछ हद तक सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि अगले स्वच्छता सर्वेक्षण में कुछ कमियों को सुधारकर टॉप टेन में लाने का प्रयास किया जाएगा।
घर-घर कचरा संग्रहण: नगर निगम उत्तर और दक्षिण ने पिछले वर्ष बजट में 30 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था। इसके तहत, निगम दक्षिण ने घर-घर कचरा संग्रहण के लिए 170 ई-वाहन खरीदे। इन्हें वार्डों में लगाया गया। इसके बाद, निगम दक्षिण के सभी वार्डों में घर-घर कचरा संग्रहण का कार्य शुरू हो गया।
दस्तावेजीकरण: पिछले वर्ष स्वच्छता सर्वेक्षण के दौरान, दोनों निगमों द्वारा दस्तावेजीकरण प्रक्रिया पूरी नहीं की गई थी, लेकिन इस बार पोर्टल खुलते ही निगम अधिकारियों ने दस्तावेजीकरण का कार्य पूरा कर लिया।
प्रतिक्रिया: हर बार प्रतिक्रिया के मामले में निगम पीछे रह जाता है, लेकिन इस बार निगम ने स्वच्छता सर्वेक्षण टीम के साथ कई टीमें तैनात कीं, जिन्होंने घर-घर जाकर फीडबैक फॉर्म भरवाए।
दो पाली प्रणाली: पहले शहर में सफाई व्यवस्था एक पाली में चल रही थी। इसमें सुधार करते हुए, दो पाली सफाई व्यवस्था लागू की गई।
इन पर ध्यान दिया जाए तो रैंकिंग में सुधार होगा
पृथक्करण में पिछड़ना
शहर के मुख्य डंपिंग स्टेशन तक कचरा परिवहन की अनियमितता के मामले में उत्तर और दक्षिण दोनों निगम पिछड़ गए। जोधपुर में कचरा प्रसंस्करण का काम संतोषजनक नहीं रहा। शहर से प्रतिदिन 600 टन कचरा एकत्र होता है, लेकिन केवल 100 टन कचरा ही संसाधित हो पाता है। इसके लिए शहर में कुल 3 मैकेनाइज्ड ट्रांसफर स्टेशन की आवश्यकता है। निगम अभी तक केवल एक ही बना रहा है। जबकि उत्तर निगम अभी तक इसके लिए ज़मीन नहीं ढूँढ पाया है।
छोटे डंपिंग पॉइंट्स की हालत खराब
भीतरी शहर में कचरा संग्रहण की स्थिति अभी भी खराब है। इसमें सुधार की आवश्यकता है। सुबह सफाई के बाद भी लगभग दो घंटे तक सफाई होती है। उसके बाद शहर में कचरा संग्रहण नहीं होता। यह स्थिति शनिवार सुबह से सोमवार सुबह तक बनी रहती है। इस दौरान कचरा भी नहीं उठाया जाता।
सीवरेज का पानी अभी भी सड़कों पर है
निगम के पास 13 सीवर जेट मशीनें होने के बावजूद, कई जगहों पर ट्रंक लाइनें जाम हैं। सीवर का पानी रोज़ाना सड़कों पर बहता है। इस पर भी काम करने की ज़रूरत है। शहर में लगभग 224 शौचालय और सुलभ शौचालय हैं। हर महीने लाखों रुपये खर्च करने के बावजूद, इनमें से ज़्यादातर की हालत ख़राब है। इन्हें भी सुधारा जाना चाहिए।
You may also like
रूस को लेकर बढ़ा दबाव, क्या भारत झुकेगा या उसकी दुविधा बढ़ेगी?
चेहरे की रंगत बदल देगा ये पानी! जानिए कैसे करें इसका सही इस्तेमाल
उदयपुर सिटी पैलेस के अंदर क्या है खास? वायरल डॉक्यूमेंट्री में जाने कैसे पहुंचे, टिकट री और घूमने की सही टाइमिंग
जयपुर के पास बड़ा हादसा! जमवारामगढ़ में स्कूल बस एक्सीडेंट से मची चीख पुकार, 12 से ज्यादा छात्र बुरी तरह घायल
Vaibhav Suryavanshi: क्रिकेटर वैभव सूर्यवंशी ने रच डाला नया इतिहास, यह कारनामा करने वाले बने दुनिया के पहले खिलाड़ी