राजधानी जयपुर की सड़कों पर हर रोज हादसे न्याय से भी तेज दौड़ रहे हैं। यातायात नियमों की धज्जियां उड़ रही हैं और लापरवाही से वाहन चलाना आम बात हो गई है। हर रोज कोई न कोई हादसा होता है, कोई परिवार उजड़ जाता है। लेकिन न तो यातायात व्यवस्था सुधर रही है और न ही निगरानी बढ़ रही है। आपको बता दें कि हालात ऐसे हैं कि अगर कोई वाहन आपको टक्कर मारकर भाग जाए तो उसे ढूंढना सिर्फ किस्मत और निजी कैमरे की मेहरबानी पर निर्भर करता है। सरकारी कैमरे न तो अपराध को पकड़ पाते हैं और न ही अपराधी को।
व्यक्ति झूठ बोल सकता है, कैमरा नहीं। करोड़ों रुपए खर्च कर शहर भर में लगाए गए सरकारी सीसीटीवी कैमरे न तो हादसों को सही तरीके से कैद कर पा रहे हैं और न ही दुर्घटनाग्रस्त वाहनों की पहचान करने में पुलिस की मदद कर पा रहे हैं। सवाल यह उठता है कि अगर वीवीआईपी मूवमेंट के दौरान कोई हादसा होता है तो क्या तब भी यही बहाना चलेगा कि कैमरे धुंधले हैं? हादसों को रोकने के लिए सिर्फ कानून ही नहीं बल्कि मजबूत और सक्रिय निगरानी तंत्र भी जरूरी है।
शहर में लाखों रुपए खर्च कर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, लेकिन अगर वही कैमरे धुंधली तस्वीरें दें तो सवाल उठना स्वाभाविक है। अगर दुर्घटना के साक्ष्य स्पष्ट नहीं हैं, तो कैमरे लगाने वाले अधिकारियों को भी जिम्मेदार माना जाना चाहिए। क्योंकि व्यक्ति झूठ बोल सकता है, लेकिन सीसीटीवी फुटेज झूठ नहीं बोलती।
You may also like
बड़ा विमान हादसा टला! पटना एयरपोर्ट पर इंडिगो फ्लाइट की इमरजेंसी लैंडिंग से बचीं 175 जिंदगी, जानिए मामला
बच्ची के संथारा मामले में हाईकोर्ट सख्त, केंद्र और राज्य सरकार को जारी किया नोटिस
ENG vs IND: भारत के खिलाफ लॉर्ड्स टेस्ट मैच में जोफ्रा आर्चर को प्लेइंग 11 में शामिल करने पर बेन स्टोक्स ने दी बड़ी प्रतिक्रिया
ओडिशा में बंगाल के 444 प्रवासी मजदूरों की हिरासत पर महुआ मोइत्रा बोलीं– अगर बंगाली पर्यटक ओडिशा जाना बंद कर दें तो क्या होगा?
बिहार काे नहीं बनने देंगे बंगाल,घुसपैठियों को वोटर बनाने की हाे रही साजिश : ऋतुराज सिन्हा