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रणथंभौर में टाइगर ने रेंजर पर किया हमला, वीडियो में देखें 20 मिनट तक शव पर ही बैठा रहा

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राजस्थान के रणथंभौर टाइगर रिजर्व से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। रिजर्व के जोन नंबर-3 में एक बाघ ने वन विभाग के रेंजर पर अचानक हमला कर दिया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। यह घटना रविवार को घटी जब रेंजर ड्यूटी के दौरान नियमित गश्त पर थे।

जानकारी के अनुसार, बाघ ने रेंजर पर पीछे से झपट्टा मारा और सीधा गर्दन पर दांतों व नाखूनों से हमला किया। हमले की तीव्रता इतनी अधिक थी कि रेंजर की मौके पर ही जान चली गई। चश्मदीदों के मुताबिक, बाघ करीब 20 मिनट तक रेंजर के शव पर बैठा रहा, जिससे अन्य स्टाफ को शव के पास तक जाने का मौका नहीं मिला।

सुरक्षा में चूक या टेरिटोरियल मूवमेंट?

वन विभाग के सूत्रों के अनुसार, यह हमला टाइगर के टेरिटोरियल मूवमेंट के दौरान हुआ। माना जा रहा है कि रेंजर की उपस्थिति को बाघ ने खतरे के रूप में देखा, जिससे उसने आक्रामक प्रतिक्रिया दी। हालांकि, घटना की जांच की जा रही है कि कहीं सुरक्षा उपायों में चूक तो नहीं हुई।

त्रिनेत्र गणेश मंदिर मार्ग फिर से बंद

इस भयावह घटना के बाद वन विभाग ने 12 मई से त्रिनेत्र गणेश मंदिर मार्ग को अगली सूचना तक बंद कर दिया है। यह मार्ग श्रद्धालुओं और पर्यटकों के बीच खासा लोकप्रिय है, लेकिन टाइगर मूवमेंट को देखते हुए सुरक्षा के लिहाज से इसे बंद किया गया है।

टाइगर रिजर्व प्रशासन ने अपील की है कि कोई भी पर्यटक या स्थानीय व्यक्ति बिना अनुमति जंगल के भीतर प्रवेश न करे और सभी सुरक्षा निर्देशों का पालन करें।

वन विभाग में शोक की लहर

इस अप्रत्याशित घटना के बाद रणथंभौर टाइगर रिजर्व के वन विभाग में गहरा शोक व्याप्त है। रेंजर की पहचान (यदि सार्वजनिक की गई हो तो नाम यहाँ जोड़ा जा सकता है) एक अनुभवी कर्मचारी के रूप में की जा रही है, जो वर्षों से वन्यजीवों के संरक्षण में समर्पित थे।

वन अधिकारियों ने बताया कि विभागीय जांच के बाद मृतक रेंजर के परिवार को सरकारी सहायता और मुआवजा प्रदान किया जाएगा।

बढ़ते टाइगर-ह्यूमन कॉन्फ्लिक्ट पर चिंता

यह घटना एक बार फिर मानव और वन्यजीवों के बीच टकराव (Human-Wildlife Conflict) के गंभीर सवाल खड़े करती है। विशेषज्ञों का मानना है कि बाघों की बढ़ती संख्या और सीमित क्षेत्रफल के कारण ऐसी घटनाएं अब अधिक देखने को मिल रही हैं। वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि संवेदनशील क्षेत्रों में अतिरिक्त सतर्कता और तकनीकी निगरानी की जरूरत है।

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