नीरजा मोदी स्कूल की छात्रा अमायरा की मौत के मामले में अब एक नया मोड़ सामने आया है। चौथी मंजिल से कूदकर जान देने वाली इस छात्रा के मामले में पुलिस को कुछ ऐसे सुराग मिले हैं जो घटना की दिशा बदल सकते हैं। जांच के दौरान एक टीचर के बयान से पता चला है कि अमायरा ने घटना से कुछ दिन पहले क्लास में कुछ छात्रों द्वारा आपत्तिजनक शब्दों के इस्तेमाल (बैड वर्ड यूज) की शिकायत की थी। यह बयान अब जांच का अहम हिस्सा बन गया है।
पुलिस ने स्कूल के सीसीटीवी फुटेज की भी गहन जांच की है। फुटेज में यह साफ दिखाई दे रहा है कि अमायरा के कूदने से ठीक पहले दो छात्र सीढ़ियों से नीचे जाते हुए नजर आए। इसके अलावा, जब अमायरा ने चौथी मंजिल से छलांग लगाई, तो एक महिला टीचर ने रेलिंग से झुककर नीचे देखा, वहीं दूसरी तरफ दो छात्र भी झुककर नीचे झांकते दिखे। इस पूरे दृश्य ने जांच एजेंसियों के सामने कई नए सवाल खड़े कर दिए हैं।
सूत्रों के मुताबिक, पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि क्या इन छात्रों का अमायरा से कोई विवाद था या किसी तरह का मानसिक दबाव उस पर डाला गया था। यह भी संभावना जताई जा रही है कि क्लास में हुई शिकायत के बाद अमायरा को साथियों की तरफ से किसी तरह की बुलिंग या मजाक उड़ाने का सामना तो नहीं करना पड़ा।
इसी बीच, मामले की गंभीरता को देखते हुए राजस्थान शिक्षा विभाग और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की संयुक्त टीम ने सोमवार को स्कूल का दौरा किया। करीब पांच घंटे चली जांच में टीम ने स्कूल भवन, सुरक्षा व्यवस्था, निगरानी कैमरों की स्थिति और शिक्षकों के कक्षों का निरीक्षण किया। साथ ही स्कूल स्टाफ, प्रिंसिपल और संबंधित टीचर्स के बयान दर्ज किए गए।
टीम ने विशेष रूप से यह जानने की कोशिश की कि स्कूल में छात्रों की शिकायतों को सुनने और हल करने के लिए कौन-सी प्रक्रिया अपनाई जाती है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने कहा कि यदि स्कूल प्रशासन की लापरवाही सामने आती है, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
अमायरा की मौत ने पूरे जयपुर और अभिभावक समुदाय को झकझोर कर रख दिया है। परिजन लगातार यह मांग कर रहे हैं कि पूरे मामले की पारदर्शी जांच हो और दोषियों को सख्त सजा मिले। सोशल मीडिया पर भी #JusticeForAmayra ट्रेंड कर रहा है, जहां लोग स्कूली बुलिंग और मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर सवाल उठा रहे हैं।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जांच कई पहलुओं पर की जा रही है — मानसिक उत्पीड़न, सहपाठियों की भूमिका, स्कूल प्रशासन की जिम्मेदारी और सुरक्षा मानकों की स्थिति। पुलिस ने यह भी संकेत दिया है कि जरूरत पड़ने पर साइकोलॉजिकल एक्सपर्ट्स की मदद लेकर बच्चों के बयान दर्ज किए जा सकते हैं।
वर्तमान में पुलिस सभी सीसीटीवी फुटेज, मोबाइल रिकॉर्डिंग्स और गवाहों के बयानों का विश्लेषण कर रही है। शुरुआती जांच में जो तथ्य सामने आए हैं, वे यह दर्शाते हैं कि यह मामला केवल एक “आकस्मिक हादसा” नहीं, बल्कि गहरे सामाजिक और संस्थागत सवालों से जुड़ा हुआ है।
अब सभी की निगाहें पुलिस और शिक्षा विभाग की जांच रिपोर्ट पर टिकी हैं, जिससे यह साफ हो सकेगा कि आखिर क्या वजह थी जिसने एक मासूम बच्ची को ऐसा कदम उठाने पर मजबूर किया।
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