जेपी नड्डा के बाद भाजपा की कमान कौन संभालेगा? यह सवाल इन दिनों राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर संगठन और संघ स्तर पर विचार-विमर्श चल रहा है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि इस बार भाजपा का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष राजस्थान से भी हो सकता है।भाजपा के 45 साल के इतिहास में अभी तक राजस्थान से कोई भाजपा अध्यक्ष नहीं बना है। पार्टी के दिग्गज नए चेहरे की तलाश में जुटे हैं। उम्मीद है कि इस बार यह जिम्मेदारी 'मरुधरा' को दी जा सकती है। राजस्थान से ऐसे 4 नेता हैं जिनके नामों पर विचार किया जा सकता है।इन नेताओं की जहां संगठन में मजबूत स्थिति है, वहीं सरकार में भी इनका कद ऊंचा है। इनमें अर्जुन राम मेघवाल, भूपेंद्र यादव, सुनील बंसल और वसुंधरा राजे शामिल हैं। राजनीतिक पंडितों की मानें तो अर्जुन राम मेघवाल और भूपेंद्र यादव मजबूत दावेदार बताए जा रहे हैं।
अर्जुन राम मेघवाल
वर्तमान में केंद्रीय कानून मंत्री और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरोसेमंद सहयोगियों में से एक। अर्जुन राम मेघवाल ने आईएएस की नौकरी छोड़कर राजनीति का रास्ता चुना। उन्हें दलित समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले नेता के रूप में देखा जाता है। उन्हें संसद में पार्टी के मुख्य वक्ता के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने कई महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने में भी अहम भूमिका निभाई है। वे बीकानेर सीट से सांसद हैं।
भूपेंद्र यादव
वर्तमान में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री। वे लंबे समय तक पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रहे हैं। उन्हें मोदी-शाह की कोर टीम का हिस्सा माना जाता है। चुनावी रणनीति, गठबंधन निर्माण और नीतिगत फैसलों में उनकी विशेषज्ञता है। संघ से भी उनके गहरे संबंध हैं। वे अलवर से लोकसभा सांसद भी हैं। वे दो बार राज्यसभा सांसद भी रह चुके हैं।
सुनील बंसल
राजस्थान से ताल्लुक रखने वाले राष्ट्रीय महासचिव सुनील बंसल को भाजपा ने कई चुनावों की कमान सौंपी है। वे एक बेहतरीन संगठनकर्ता के रूप में जाने जाते हैं। सुनील बंसल का उत्तर प्रदेश से गहरा नाता है। सुनील बंसल उत्तर प्रदेश चुनाव 2017, लोकसभा चुनाव 2019 और उत्तर प्रदेश चुनाव 2022 में भाजपा की जीत के सूत्रधार रहे।
राजस्थान की प्रबल संभावना
भारतीय जनता पार्टी 6 अप्रैल 1980 को अस्तित्व में आई थी। इसलिए अपनी स्थापना के 45 वर्षों के बाद भी, राजस्थान से आज तक किसी को भी अध्यक्ष पद पर नहीं चुना गया है। इस कारण, भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के राजस्थान से होने की संभावना प्रबल है।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए चुनाव प्रक्रिया
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए व्यक्ति का 15 वर्षों तक पार्टी का सक्रिय सदस्य होना अनिवार्य है। राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले पार्टी के निचले स्तर से लेकर राज्य स्तर तक संगठनात्मक चुनाव होते हैं। इसमें मंडल, जिला और फिर राज्य स्तर के अध्यक्षों और समितियों का चुनाव होता है। राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए यह आवश्यक है कि कम से कम आधे से अधिक राज्यों (लगभग 19 या अधिक) में प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव संपन्न हो चुका हो। राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है, जिसमें राष्ट्रीय परिषद के सदस्य और राज्य परिषदों के सदस्य शामिल होते हैं।
प्रस्ताव और अनुमोदन
निर्वाचक मंडल के कम से कम 20 सदस्य मिलकर राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने वाले व्यक्ति के नाम का प्रस्ताव रख सकते हैं। यह संयुक्त प्रस्ताव कम से कम 5 राज्यों से आना चाहिए जहाँ राष्ट्रीय परिषद के चुनाव संपन्न हो चुके हैं। नामांकन पत्र पर उम्मीदवार का अनुमोदन भी आवश्यक है।
अध्यक्ष का कार्यकाल
भाजपा संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यकाल तीन वर्ष का होता है। वह अधिकतम दो लगातार कार्यकाल तक इस पद पर रह सकते हैं। हालाँकि, विशेष परिस्थितियों में कार्यकाल बढ़ाया भी जा सकता है।
नए अध्यक्ष का नाम केवल नामांकन के माध्यम से ही घोषित किया जाता है
भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा? यह नामांकन के दिन ही घोषित किया जाएगा। पार्टी सबसे पहले नामांकन की तिथि की घोषणा करेगी। यह एक रिकॉर्ड है कि भाजपा में अभी तक राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए चुनाव नहीं हुए हैं। एक नामांकन हुआ है। वह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।
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