कारगिल विजय दिवस हर साल 26 जुलाई को मनाया जाता है। वह दिन जब 1999 में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़कर कारगिल युद्ध में ऐतिहासिक जीत हासिल की थी।यह सिर्फ़ एक सैन्य विजय नहीं, बल्कि भारत के वीर सपूतों के शौर्य, बलिदान और देशभक्ति की अमर गाथा है। इस विजय के पीछे देश के हज़ारों सैनिकों का बलिदान है, जिसमें राजस्थान के सैकड़ों वीर सपूतों ने भी मातृभूमि के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। इन्हीं में से एक हैं शहीद लांस नायक भगवान सिंह।
पति की शहादत पर गर्व: वीरांगना विजेश देवी
खेतड़ी के बंधा की ढाणी निवासी सेना मेडल विजेता शहीद लांस नायक भगवान सिंह की पत्नी वीरांगना विजेश देवी ने पत्रिका से बातचीत में कहा कि मुझे अपने पति की शहादत पर गर्व है।मेरे पति कारगिल युद्ध में देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले झुंझुनू जिले के पहले कारगिल शहीद थे। शहादत से पहले उन्होंने घुसपैठियों को मार गिराया और चौकी पर तिरंगा फहराया। इसी वजह से उन्हें मरणोपरांत सेना मेडल से सम्मानित किया गया।
विजेश देवी के पति की शहादत के समय उनके बच्चे कमलदीप सिंह 8 साल, भूपेंद्र सिंह 7 साल और बेटी सुप्रिया 3 साल की थीं। उन्होंने बताया कि मैंने उन्हें माँ और पिता दोनों का प्यार देकर पाला और अच्छी शिक्षा दी। लांस नायक शहीद भगवान सिंह 27 राजपूत रेजिमेंट में कार्यरत थे।
16 पाकिस्तानी घुसपैठियों को मारकर उन्होंने चौकी पर तिरंगा फहराया
दुश्मन ने कारगिल की सियाचिन ग्लेशियर थर्ड चौकी पर कब्जा कर लिया था। वहाँ शहीद भगवान सिंह ने अपनी टुकड़ी के साथ ऑपरेशन विजय के तहत हमला किया और लगभग 16 पाकिस्तानी घुसपैठियों को मारकर चौकी पर तिरंगा फहराया।
तभी वहाँ एक बंकर में मौजूद दुश्मन ने 28 जून 1999 को गोलीबारी शुरू कर दी। जिससे उनके सीने में गोली लग गई। जिसमें शहीद भगवान सिंह और उनके साथी सैनिक शेर सिंह इंदा शहीद हो गए।लेकिन शहादत से पहले उन्होंने उस बंकर में बैठे दोनों घुसपैठियों को भी मार गिराया। उनकी शहादत के बाद उन्हें सेना मेडल से सम्मानित किया गया।
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