भोपाल । इस वर्ष दीपावली का पर्व पांच नहीं बल्कि छह दिनों तक चलेगा। दीपोत्सव की शुरुआत आज धनतेरस से होगी। इस बार पितृ कार्य की अमावस्या 21 नवंबर को पड़ने से पर्वों का क्रम एक दिन आगे बढ़ गया है। इसके चलते दीपावली का मुख्य पर्व 20 नवंबर, गोवर्धन पूजा 22 नवंबर और भाई दूज 23 नवंबर को मनाई जाएगी।
सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय, उज्जैन के ज्योतिष विभाग के आचार्य डॉ. सर्वेश्वर शर्मा के अनुसार, इस वर्ष दीप महोत्सव में18 नवंबर को धनतेरस, 19 नवंबर को रूप चतुर्दशी, 20 नवंबर को दीपावली, 21 नवंबर को पितृ कार्य की अमावस्या, 22 नवंबर को गोवर्धन पूजा और 23 नवंबर को भाई दूज पर्व मनाया जाएगा। डॉ. शर्मा ने बताया कि इस बार दीप पर्व पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र और ब्रह्म योग के विशेष संयोग में मनाया जाएगा, जो अत्यंत शुभ माना गया है।
ज्योतिषाचार्य पं. चंदन व्यास के अनुसार, त्रयोदशी तिथि शनिवार को दोपहर 12 बजकर 20 मिनट के बाद प्रारंभ होगी। इस दिन पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र और ब्रह्म योग का मिलन इस पर्व को और अधिक मंगलमय बना देगा। पौराणिक मान्यता के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को समुद्र मंथन से भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी कहा जाता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि, मां लक्ष्मी, भगवान कुबेर, यमराज और श्री गणेश की पूजा का विधान है।
धनतेरस के दिन खरीदारी को शुभ माना गया है। ज्योतिषाचार्य व्यास का कहना है, इस दिन सोना-चांदी, बर्तन, वाहन, कुबेर यंत्र, गोमती चक्र और देवी-देवताओं की प्रतिमाएं खरीदना विशेष लाभकारी रहता है। इसके अलावा झाड़ू की खरीद भी शुभ मानी गई है, क्योंकि इसे दरिद्रता नाशक और लक्ष्मी आगमन का प्रतीक कहा गया है। विद्वानों का कहना है कि व्यक्ति को अपनी सामर्थ्य के अनुसार वस्तुएं खरीदनी चाहिए, ताकि लक्ष्मी कृपा स्थायी बनी रहे।
इसके साथ ही आचार्य भरत दुबे का कहना है कि हिन्दू पंचांग के अनुसार इस वर्ष धनतेरस का पर्व शनि प्रदोष व्रत के संयोग में आ रहा है, जिससे इसका धार्मिक महत्त्व और बढ़ गया है। महाकालेश्वर मंदिर में शनिवार को विशेष पूजन-अभिषेक और रूद्र पाठ का आयोजन किया जाएगा। मंदिर के पुजारी दिलीप गुरु ने बताया कि प्रातः भगवान महाकाल का अभिषेक और पूजन किया जाएगा, अपराह्न चार बजे से गर्भगृह में रूद्र पाठ होगा और संध्याकाल में विशेष आरती के साथ नैवेद्य अर्पित किया जाएगा।
धनतेरस के दिन पूजन का शुभ मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 38 मिनट से शाम 4 बजकर 21 मिनट तक, सायं 6 से 7 बजकर 31 मिनट तक और रात्रि 9 से 12 बजकर 10 मिनट तक रहेगा। रूप चतुर्दशी के दिन पितृ दीपदान सायं 6 से रात्रि 10 बजकर 30 मिनट तक किया जा सकेगा। दीपावली पर महालक्ष्मी पूजन के लिए तीन शुभ मुहूर्त बताए गए हैं-प्रातः 6 बजकर 30 मिनट से 8 बजे तक, अपराह्न 3 से सायं 6 बजे तक और रात्रि 10 बजकर 38 मिनट से 12 बजकर 12 मिनट तक।
इसके साथ ही उनका कहना है कि स्थिर लग्न में लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व बताया गया है। इसके लिए स्थिर वृश्चिक लग्न प्रातः 8 बजकर 40 मिनट से 10 बजकर 45 मिनट तक, स्थिर कुम्भ लग्न दोपहर 2 बजकर 45 मिनट से सायं 4 बजकर 15 मिनट तक और स्थिर वृषभ लग्न सायं 7 बजकर 30 मिनट से रात्रि 9 बजकर 20 मिनट तक रहेगा।
पितृ कार्य की अमावस्या 21 नवंबर, मंगलवार को मनाई जाएगी। इसके अगले दिन 22 नवंबर को गोवर्धन पूजा और अन्नकूट उत्सव मनाया जाएगा। इस दिन पूजन का शुभ समय सायं 4 बजकर 30 मिनट से रात्रि 10 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। भाई दूज यानी यम द्वितीया पर्व 23 नवंबर, गुरुवार को मनाया जाएगा। इस दिन बहनों द्वारा भाइयों को तिलक करने का शुभ समय दोपहर 12 बजकर 10 मिनट से अपराह्न 3 बजे तक और सायं 4 बजकर 30 मिनट से रात्रि 9 बजे तक रहेगा।
ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि इस बार का दीपोत्सव धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यंत शुभ रहेगा। पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र, ब्रह्म योग और शनि प्रदोष जैसे योग इस बार धनतेरस और दीपावली दोनों को विशेष बना रहे हैं। उज्जैन सहित पूरे प्रदेश में श्रद्धालु माता लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि और महाकालेश्वर का पूजन कर सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करेंगे।
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